(बिना अनुमति के रचना न लें ) विविध रंग की कविताएं
बहुत खूब
कोई हद ही नही शायद मुहब्बत के फसाने की,सुनाता जा रहा है जिसको जितना याद होता है,,,,, Recent post: रंग,
अर्ज किया था, थोड़ी सी रौशनी के लिएतुमने तो पूरा चाँद ही दे दिया मांगी थी मुहब्बत की एक घूंट तुमने तो पूरा जाम ही पिला दिया //आप दोनों ने माँगने और पाने की हद कर दी।
अपने लिए तो कुछ बचाते ही नहीं , संपूर्ण समर्पित खूबसूरत रचना .......... पाण्डेय जी
वाह बब्बन भाई...क्या रस भरा है आपने ...लाजवाब
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !सादर आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में अर्ज सुनिये
मांगी थी मुहब्बत की एक घूंटतुमने तो पूरा जाम ही पिला दियाखूबसूरत रचना ......!!!
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंकोई हद ही नही शायद मुहब्बत के फसाने की,
जवाब देंहटाएंसुनाता जा रहा है जिसको जितना याद होता है,,,,,
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अर्ज किया था, थोड़ी सी रौशनी के लिए
जवाब देंहटाएंतुमने तो पूरा चाँद ही दे दिया
मांगी थी मुहब्बत की एक घूंट
तुमने तो पूरा जाम ही पिला दिया //
आप दोनों ने माँगने और पाने की हद कर दी।
अपने लिए तो कुछ बचाते ही नहीं ,
जवाब देंहटाएंसंपूर्ण समर्पित
खूबसूरत रचना ..........
पाण्डेय जी
वाह बब्बन भाई...क्या रस भरा है आपने ...लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
सादर
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
मांगी थी मुहब्बत की एक घूंट
जवाब देंहटाएंतुमने तो पूरा जाम ही पिला दिया
खूबसूरत रचना ......!!!