क्यों खामोश है
ये पुल
लोगों के डर
सोखकर चुप है शायद
चुप रहने वाला पुल ..
लोगों को गिरने से बचाता है
गंतव्य तक पहुंचता है
दो घरों को जोड़ता है
दो संस्कृतियों को जोड़ता है
जिस दिन
मीठे-मीठे बोलों का पुल
गिर जाएगा
उस दिन बहुत शोर होगा
और पुल आत्महत्या कर लेगा //
गहरी बात ....
जवाब देंहटाएंआभार मोनिका शर्मा जी
हटाएंबहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
शुक्रिया यशवंत जी .. दीपावली की सुभकामनाएँ
हटाएंअच्छी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंकल 27/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति , बबन भाई
जवाब देंहटाएंप्रतिभागी - गीतकार के.के.वर्मा " आज़ाद " ---> A tribute to Damini
वाह! बहुत ख़ूबसूरत...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... प्रतीक के माध्यम से कितना कुछ कहती रहना ... संवाद जारी रहना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और लक्ष्मी पूजन
इस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-29/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -36 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
हार्दिक आभार राजिव झा जी ...
हटाएंgreat message........... samwedansheel message jeeven k disha deta message....
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर, सार्थक संदेश!!!
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