मुझे कंक्रीट बनाना था
कंक्रीट -- बालू ,सीमेंट और बजरी का मिक्सचर
दिक्कत थी पानी की मात्रा का आकलन
ज्यादा पानी- कंक्रीट की शक्ति कम
कम पानी -तो भी कंक्रीट की शक्ति कम //
तभी मुझे याद आया ...
माँ की आटा गूथने की कला
थोडा थोडा पानी .
.धीरे-धीरे डालना और फिर गुथना ..
मैंने भी वही किया
धीरे-धीरे पानी मिलाते गया
अंत में अच्छी गुणवत्ता वाला कंक्रीट प्राप्त हुआ..//
अगर खुली हो मन की खिड़किया
तो काम से
सीखता है आदमी //
कंक्रीट -- बालू ,सीमेंट और बजरी का मिक्सचर
दिक्कत थी पानी की मात्रा का आकलन
ज्यादा पानी- कंक्रीट की शक्ति कम
कम पानी -तो भी कंक्रीट की शक्ति कम //
तभी मुझे याद आया ...
माँ की आटा गूथने की कला
थोडा थोडा पानी .
.धीरे-धीरे डालना और फिर गुथना ..
मैंने भी वही किया
धीरे-धीरे पानी मिलाते गया
अंत में अच्छी गुणवत्ता वाला कंक्रीट प्राप्त हुआ..//
अगर खुली हो मन की खिड़किया
तो काम से
सीखता है आदमी //
Theek kahaa aapne .yadi anubhav se vyakti protsaahit ho kar aur dhyaan se kaam kare to sahee nishkarsh par pahunchanaa sambhav ho jaataa hai
जवाब देंहटाएंआभार और शुक्रिया Deven जी
जवाब देंहटाएंसच कहा ... और माँ की सीख तो हर माम्मे में काम आती है ...
जवाब देंहटाएंअच्छा ख्याल शब्दों में उतारा है ...
Digamber Naswa jee @ आपका बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंकल 07/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
यशवंत जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत ही श्रेष्ठ विचार
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