पत्थर हूँ मैं
झरने की वेगमयी धारा का विरोधी
टूट जाउंगा /बिखर जाऊँगा
यु ही घुटने नहीं टेकूंगा //
वृक्ष हूँ
तूफानों को रोकता हूँ
मेरे फल-फूल गिर जाते है
शाखाएं टूट जाती है
कभ-कभी तो मैं स्वम् उखड जाता हूँ //
विपत्तियों के सामने घुटने टेकना
ज़िंदगी से हार जाना //
झरने की वेगमयी धारा का विरोधी
टूट जाउंगा /बिखर जाऊँगा
यु ही घुटने नहीं टेकूंगा //
वृक्ष हूँ
तूफानों को रोकता हूँ
मेरे फल-फूल गिर जाते है
शाखाएं टूट जाती है
कभ-कभी तो मैं स्वम् उखड जाता हूँ //
विपत्तियों के सामने घुटने टेकना
ज़िंदगी से हार जाना //
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति 22-11-2013 चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच की टीम को मेरा आभार
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