अँधेरे को उजाले में बदल दूँ , ऐसा वीर बनूंगा
बिना लक्ष्य भेदे न लौटू , मैं ऐसा तीर बनूंगा//
हर घर के दीप में जल जाऊं , ऐसा रुई बनूंगा
दुश्मन को अंदर तक छेद दूँ , मैं ऐसा सुई बनूंगा//
भ्रस्ट्राचार के गंध को मिटा दूँ , मैं ऐसा सुमन बनूंगा
बहा दूँ अमन का पैगाम, मैं ऐसा पवन बनूंगा//
बिना लक्ष्य भेदे न लौटू , मैं ऐसा तीर बनूंगा//
हर घर के दीप में जल जाऊं , ऐसा रुई बनूंगा
दुश्मन को अंदर तक छेद दूँ , मैं ऐसा सुई बनूंगा//
भ्रस्ट्राचार के गंध को मिटा दूँ , मैं ऐसा सुमन बनूंगा
बहा दूँ अमन का पैगाम, मैं ऐसा पवन बनूंगा//
वाह-वाह...क्या बात है...
जवाब देंहटाएंVaanbhatt जी पढ़ते रहिये ..और हौसला आफ़ज़ाई करते रहिये
जवाब देंहटाएंgajab ka sankalp badhai
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