बादल (बाल -कविता )
सूख चूके है ताल -तलैया
और सुखी हैं नदियाँ
गर्मी से हैं सब पागल
जल बरसा नभ के बादल //
ज्येष्ठ की तपती गर्मी ने
जल को भाप बनाया
और पवन के झोंके ने
तुम्हें दूर -दूर फैलाया
मन पंक्षी उड़ता है
देख तुम्हारा रंग श्यामल
जल बरसा नभ के बादल //
तुम बिन सूखे बड़े जलाशय
पनबिजली की हो गई छुट्टी
सूख गई है घास खेत की
और धूल उड़ा रही मिटटी
घास बिना गैय्या है भूखी
और सब किसान है घायल
जल बरसा नभ के बादल //
bhut hi manbhawan....baal kavita
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए इससे बढ़िया कविता हो ही नहीं सकती.ये कविता बच्चों को वन संरक्षण को प्रेरित करती है क्योंकि वनों के निर्बाध कटान से ही आज सूखे की समस्या उत्पन्न हुई है जिसकी ओर बादलों से बरसने का आग्रह करके लक्ष्य किया गया है.
जवाब देंहटाएंइस कविता की सार्थकता तभी है जब बच्चे इसके मर्म को समझ सकें.
सादर
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (6/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
बाल कविता बिल्कुल बाल मन के अनुरूप है!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की बधाई दोस्त !
बच्चों के लिए इससे बढ़िया कविता
जवाब देंहटाएंbahut khoob kisne kaha aap kavi nahin hain?
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए बिल्कुल बाल मन के अनुरूप है!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंइस बार मेरे ब्लॉग पर
" मैं "