बह चुकी है
केंद्र सरकार का खजाना
घोटालों की बाढ़ से //
भरपाई का एक सुझाव है मेरे पास
सरकार को सलाह देना कोई गुनाह तो नहीं //
सरकार मोटर -गाडी पर टैक्स लगाती है
अब पैदल चलने वालों पर टैक्स लगे
प्रदूषित हवा तो सब श्वास लेते है
शुद्ध हवा लेने वालों पर टैक्स लगे //
पक्षियों की कलरव
नदियों /झरनों की भाषा
सुनने /समझने वालों पर टैक्स लगे
हंसने /मुस्कुराने वालों पर टैक्स लगे //
उन कवियों /लेखकों /मिडियाकर्मियों पर
भारी -भरकम टैक्स लगे
जो सच बोलते और लिखते है
उन पर भी टैक्स लगे
जो सच जानना चाहते है //
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले न मिले
मगर सभी बिहारी मजदूरों पर टैक्स लगे
जो सत्तू खोर है //
आशा है ...
योजना आयोग इस पर गहन विचार करेगा
इतना टैक्स लगने के बाद
नेता लोग कितने भी घोटाले करे
देश का जी ० डी० पी ० प्रभावित नहीं होगा //
बहुत बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंकाश इस को नेता भी पढ़ लें..
isko neta bhi padhenge to kuch nhi hoga
जवाब देंहटाएंunki aadat to kutto wali hi hai na
गहरा कटाक्छ ..
जवाब देंहटाएंवर्तमान सरकार के मुह पर एक जोरदार तमाचा ..
ऐसे ही लिखते रहिये भईया .. सामाजिक समस्यायों पर .. !!
बबनजी,
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा, अलग अंदाज़ में ...!
bahut sahi kaha
जवाब देंहटाएंaapne
mere blog par
"main"
बबन जी तरीका आपने बहुत खूब सुझाय
जवाब देंहटाएंसरकार बात मान कर करेगी अब उपाय
सरकार को अभी भी चेत जाना चाहिए....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर विचार हैं आपके....
बबन जी........इसे कहते है अपने पेरो पर कुल्हाड़ी मारना.......सरकार तो अपनी जेबे भरने के लिए कुछ भिकार सकती है.........गाय-भेंसो का चारा हि खा गए...........यह क्या चीज है.........हा हा हा हा......बहुत बढ़िया कटाक्ष........पर इन मोटी चमड़ी वाले बेशरम नेताओ पार कोई असर होगा.........पता नहीं.....
जवाब देंहटाएंमुस्कान हो या मेरी खुशिंया
जवाब देंहटाएंसब को कर लो कैद तुम,
बांध दो बेरियो में इनको
अब हवा पे भी पहरे बिठा दो.
फिर भी मेरी चाह मुझको
सच का दामन थामने को,
हर बार एक आवाज देगी
तू कर्म पथ पर बढ़ 'प्रिय'
तू बढ़ 'प्रिय', तू बढ़ 'प्रिय'
भारी -भरकम टैक्स लगे
जवाब देंहटाएंजो सच बोलते और लिखते है
उन पर भी टैक्स लगे
जो सच जानना चाहते है //
Bahut khoob kaha hai babanji.......
बबन जी , यह क्या कर डाला , सीधे साधे आम आदमी पर और टैक्स लगा डाला................................इन नेताओं का क्या है.....................कहेंगे आप में से ही एक ने सुझाव भेजा था....................सो हमने मान लिया..................हा हा हा ..............बहुत बढ़िया!!!!
जवाब देंहटाएंsatire on our political system.
जवाब देंहटाएंgood one sir ji .:)
जवाब देंहटाएंभ्राता श्री ये आइडिया देकर आपने ठीक नहि किया ! कोई अगर ये सोच रहा हो कि सरकार ये कविता पढ़कर कुछ सुधरने वाली है तो गलत सोच रहा है! सरकार इनमे से कुछ एक तो बहुत जल्द अपनाने वाली है! सबको मालुम है मनोरंजन टैक्स के बहाने किस किस का गला घोंट रहि है...लेकिन इतने सुन्रदर प्रस्तुति के लिए कोटि कोटि बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही विवेचना किया आपने..बहुत खुब बबन भाई जी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया तल्ख़ प्रतिक्रिया है भाई साहब,बस एक अंतिम
जवाब देंहटाएंउपाय और है कि देश को बेच डालो,फिर फिरंगी को न्योता दो,
जो तुमने लूटने के बाद छोड़ा वो हम खा गए,,लो खंडहर संभालो,
"नेताओं ने मारे जवां कैसे-कैसे
ज़मीं खा गई आसमां कैसे-कैसे"
उन कवियों /लेखकों /मिडियाकर्मियों पर
जवाब देंहटाएंभारी -भरकम टैक्स लगे
जो सच बोलते और लिखते है
उन पर भी टैक्स लगे
जो सच जानना चाहते है //
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
वाह अच्छे कटाक्ष ...पर बबन जी ये सब जरा जमीं पर चलने वाले लोगों के लिए है की कही बुद्दी जरा ठीक हो जाये ...पर इन गिरे हुए नेता का क्या करें ...ये मरे तो भी हम प्रभावित ...न मरे इसके लिए भी चारो और हमारे पैसों के आदमी ...हम ही प्रभावित ...पर कान में जो रुई लगाराक्खी है उसका क्या करें !!!!!!!!
जवाब देंहटाएंअब पैदल चलने वालों पर टैक्स लगे,हंसने /मुस्कुराने वालों पर टैक्स लगे /जो सच बोलते और लिखते है
जवाब देंहटाएंउन पर भी टैक्स लगे.
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने.
"बाढ़-बाढ़ देखो, हजार बार देखो कि देखने की चीज है हमारा देश डुबा।"
जवाब देंहटाएंइसी वित्तीय वर्ष में ये सब टैक्स शामिल होने की पूरी संभावना है L आपका शुक्रिया गवर्नमेंट को अछा सुझाव देने का हहहहहहः
जवाब देंहटाएंक्या मारा है. करारा है.. आभार
जवाब देंहटाएंbda dard hai is vyang mein...kash kabhi neta bhi samjh paate is ko....bahut khoob babban jee
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