हवा बेचारी असमंजस में है...................किसकी सुनु , किसकी नहीं...................दोनों पहलु आपकी कविता के सही है..................ठीक उसी प्रकार कई बार मनुष्य भी विकट परिस्थिति में फँस जाता है, जब उसे यह समझ नहीं आता की वो क्या करे और क्या न करे..................बहुत बढ़िया रचना है बबन जी!!!!!
बबन जी बहुत नाजुक मर्म का अहसास करती आपकी कविता है ...इस का बहाना ...चलना ...झोंके के रूप में अहसास करना ..क्या नाता है आखिर ...सावन के साथ इसका नाचना क्या अहसास है ?....पर ये प्रकृति की वो देंन है जो इन्सान को एक पल में किसी का अहसास कर जाती है ....सुन्दर रचना जी ...Nirmal paneri
हवा कहती है ....
जवाब देंहटाएंफूलों की खुशबू
कहती है मुझसे
उड़ो -उड़ो
ये लाइन पढ़ कर तो बरबस ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई.
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
जवाब देंहटाएंवाह! अद्भुत!! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंफ़ुरसत में … आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी के साथ (दूसरा भाग)
बहुत ही बढिया ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति....।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना....!!
हवा बेचारी असमंजस में है...................किसकी सुनु , किसकी नहीं...................दोनों पहलु आपकी कविता के सही है..................ठीक उसी प्रकार कई बार मनुष्य भी विकट परिस्थिति में फँस जाता है, जब उसे यह समझ नहीं आता की वो क्या करे और क्या न करे..................बहुत बढ़िया रचना है बबन जी!!!!!
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही खूबसूरत शब्द ...।
जवाब देंहटाएंyani koi kisi ke anusaar nahi badal sakta...:)
जवाब देंहटाएंbahut khub!
लाज़वाब..बहुत खूबसूरत प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंbahut sundar .... ye duvidha ki stithi sabhi ke paas aati hai ... kabhi na kabhi ...
जवाब देंहटाएंफूलों की खुशबू कहती है मुझसे, उड़ो -उड़ो..मुझे दूर -दूर फैलाओ, जो डूबे है प्रेम-विरह में उनको गले लगाओ ! बहुत ही सुन्रदर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंवाह लाजबाब।
जवाब देंहटाएंbahut achi rachna
जवाब देंहटाएंhawa asmanjas me hai kiski baat ko sune,
जवाब देंहटाएंret kahta hai ruko, aur fulon ki khusbu kahta hai hamesa bahta raho,
hawa kare to kya kare,
yahi hal hai ghar ke puruson ka,
maa, pitaji ki sune, ya fir apni biwi ka,
bechara pista rahta hai do paton ke bich,
kare to kya kare,
bahut khub baban ji, bahut achchha laga,
वाह शम्भू भाई ,.कविता को आपने जीवन के सत्य से जोड़ दिया ...आपका आभारी हूँ
जवाब देंहटाएंबबन जी बहुत नाजुक मर्म का अहसास करती आपकी कविता है ...इस का बहाना ...चलना ...झोंके के रूप में अहसास करना ..क्या नाता है आखिर ...सावन के साथ इसका नाचना क्या अहसास है ?....पर ये प्रकृति की वो देंन है जो इन्सान को एक पल में किसी का अहसास कर जाती है ....सुन्दर रचना जी ...Nirmal paneri
जवाब देंहटाएंFantastic Baban Bhai...!! Bahut Sunder aur Naazuk.
जवाब देंहटाएंbahut badiya.......... majestic words i say......
जवाब देंहटाएंबबनजी..चित्र और उसमे आपकी (शायद) उपस्थिति देखकर तो मुझे सिलसिला फिल्म का गीत याद आ गय..’’देखाएक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए’’...
जवाब देंहटाएंये हवा, बहना तेरा काम रे......
जवाब देंहटाएंकोई रोके, कोई टोके, सुनना नहीं,
चलती रहे बहती रहे तू सदा शान से.......
तू गर रुक गयी, समझ ले झुक गयी,
फिर तो मिट जाएगी तेरी पहचान रे........
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना लिखी है भाई आपने........शुभकामनाएं
आज हवा असमंजस में है
जवाब देंहटाएंमंद बहूँ तो सौरभ तड़पे
तेज़ चलूँ तो माटी मचले
दिशा बदलूँ तो नाविक क्रोधित
बदलूँ धारा हो मौसम परिवर्तित
रूक जाऊं तो जीवन ठहरे
क्या मै करूं कुछ तो कह रे !
आज हवा असमंजस में है !!!!!
आप ने बहुत ही अच्छा लिखा है और विषयचयन भी बहुत ही अच्छा है !!!
आप को बहुत बधाई
पांडे जी !!!बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ...आपको बधाईयां एवं ढेर सारी शुभकामनाएं .....
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