दादा जी /पापा जी /माता जी
मुझे गर्व पर है आप पर
किसी घोटाले में
नाम नहीं आपका
मगर मै
आप लोगों के द्वारा बनाए
सत्य के मार्ग पर नहीं चलूँगा //
मैंने पढ़ा है पापा
अगर हाथो में हो
मख्खनदार बिस्कुट
तो नहीं भौकते
रास्ते के कुत्ते //
गुस्ताखी माफ़ पापा !
जिस सत्य के कांटे को दिखाकर
डराते थे मुझे बचपन में
बड़ा होने पर
मैंने उसे भोथरा पाया
सॉरी पापा !
मुझे आदमी नहीं
अमीर बनना है //
एक कटु सत्य को कहती अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंआज की आधुनिक सोच यही है.
जवाब देंहटाएंSahi kaha pandey ji aapne..ab siddhanto me rakkha hi kya hai?
जवाब देंहटाएंnice line pandey ji...
जवाब देंहटाएंमुझे आदमी नहीं अमीर बनना है!..सही कहा आपने आजकल आदमी की पहचान भी तो अमीरी से ही होती है, फिर क्यों नही अपने दादाजी और पापाजी के सिद्दान्तो से अलग आधुनिकता को अपनाया जाय, आखीर वो भी तो यही चाहते थे कि बेटा बड़ा होकर बड़ा आदमी बने !
जवाब देंहटाएंएक कटु सत्य की बहुत सटीक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंयही है वर्तमान , सही प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंJab kovve moti khate hon aur hans dana-dunka chun raha ho, to nai pidhi kya sikh legi aur unhein dosh kyon. Yatha raja tatha praja. Aazadi ki ladaai ke waqt jo adarsh unke saamne unke netaon ne rakkhe the unpar wo khud bhi amal karte the aur aaj ke neta kahte kuchh hain karte kuchh hain...
जवाब देंहटाएंVartamaan mein siddhanton aur sanskriti ki baat karna bemani hai! Ab to yatha raja yatha praja wali baat hai. Jaise ki kaha bhi hai....While in rome.....Do as the the romans do...........Bahut hi saarthak aur vastavik prastuti......Badhai ho...Baban ji
जवाब देंहटाएंKatu satya ... adhunikta ka .....dhanyawad.... achchhi rachna
जवाब देंहटाएंआज की हकीकत बंया करते भाव..
जवाब देंहटाएंati sundar
जवाब देंहटाएंsunder rachna
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है!
जवाब देंहटाएंलोहड़ी और उत्तरायणी की सभी को शुभकामनाएँ!
आज की आधुनिक सोच कटु सत्य
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"
SACHAI TO YEHI HAI,LEKIN DIL HAI KI MANTA NAHIN
जवाब देंहटाएंमुझे आदमी बनना है .........
जवाब देंहटाएंएक बड़ी संख्या me युवा पीढ़ी के सोच को दर्शाती बहुत ही सुन्दर रचना....भाई जी....
यह भाग्यवान है जो सोच के अनिर्णय से पार हो गया। एक हम हैं जो अनिश्चित हैं पर आदत के तौर पर मूल्यों को लिये जा रहे हैं!
जवाब देंहटाएंArse baad kisi rachana ne mujhe hila diya. sarvotkrisht.
जवाब देंहटाएंबहुत कम लोग हैं जो सच्चाई को कह पातें हैं और सह पातें हैं !
जवाब देंहटाएंनिशब्द !
adhunik soch lekin barm ki jhooothi dunia ...satya yeh nahi hai ,satya kya hai kisi ko dikh nahi raha,jabki vo samne hai kyonki apni anteratma ki ankho ko khtam kar chuke hain hum !!!!!!!
जवाब देंहटाएंshukriya...Amandeep singh ji ...aur sab mitro
जवाब देंहटाएंकितना कडुआ सच लिखा है आपने. अब युवाओं की सोच शायद ये ही बनती जा रही है. या तो हमने खुद ऐसा कर बच्चों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है या उनके ईमानदार माता- पिता के हश्र ने उन्हें ऐसा सोचने को मजबूर किया है. परन्तु , वह यह रास्ता न चुने, ऐसा प्रयास करना अभी हमारी ज़िम्मेदारी है.
जवाब देंहटाएंhar yuwa ka katu satya
जवाब देंहटाएं...........और इमानदार नहीं समझदार बनना है....!
जवाब देंहटाएंना बीबी ना बच्चा, ना बाप बड़ा ना मैया
जवाब देंहटाएंThe whole think is that कि भैया सबसे बड़ा रुपैया
बबन पाण्डेय जी, आज हम सरस्वती के लिए बच्चो को नहीं पढ़ाते है, बल्कि लक्ष्मी के लिए पढ़ाते है .
bada aadmi achi baat hai
जवाब देंहटाएंacha admi banna badi baat hai
--क्या बात है ...सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंमुझे आदमी नहीं
अमीर बनना है