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गुरुवार, 13 जनवरी 2011
फूलमतिया
फूलमतिया जवान है
मगर ...
नहीं लगाती सिंदूर और बिंदी
नहीं पहनती चूड़ी और पायल
वह मसोमात जो ठहरी //
नरेगा योजना में मिटटी ढोते
देखा उसे पहलीबार
उससे कोई बात नहीं करता
उसका श्वशुर और वह
अलग -थलग है भीड़ से
अगर शहर में होती
तो उसके कई यार होते //
मैं योजना का हाकिम था
उसे और उसके स्वशुर को बुलाया
पांच सौ मिलते है
लक्ष्मीबाई पेंशन के तहत //
फूलमतिया की आंखों में जिजीविषा है
शादी के वक़्त बीमार था उसका पति
एड्स था उसे
दुसरे ही दिन स्वर्गवासी हो गया
सुहाग रात क्या होता है
नहीं जानती वह //
सोचा ...
हाकिम होने के नाते ये बात
सार्वजनिक कर दूँ
मगर ठिठक गया
गाँव में अभी भी
शौच के वक़्त
और आँगन कूदकर
मुह काला करने वालों की कमी नहीं //
सोचिये ...
हम क्या कर सकते है
क्योकि
ऐसी फूलमतिया एक नहीं ,अनेकों हैं //
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एक मार्मिक सत्य है....लेकिन सच ये भी है की इन सबके पीछे अशिक्षा का भी बड़ा योगदान है....समाज में देखने पर कई फूलमतिया मिल जाती है...लेकिन दुर्भाग्य हम सांत्वना, सहानभूति या संवेदना से जयादा कुछ नहीं करते.....
जवाब देंहटाएंitna marmik chitran...:(
जवाब देंहटाएंbabban jee...aanshu aa gye..
bahut jayda bhawuk karti rachna...ek dum satya kaha...
सोचा ...
हाकिम होने के नाते ये बात
सार्वजनिक कर दूँ
मगर ठिठक गया
गाँव में अभी भी
शौच के वक़्त
और आँगन कूदकर
मुह काला करने वालों की कमी नहीं //
पाण्डेय जी हाकिम होने का गलत फायदा उठा रहें हैं आप ...मुझे आपका नजरिया पसंद नही आया
जवाब देंहटाएंखासकर "शहर में होती तो उसके कई यार होते "
मैं समझता हूँ आपको और संवेदनशील होना चाहिए था!
baban sir aap is rachna mein kya darshana chahte hain? अगर शहर में होती
जवाब देंहटाएंतो उसके कई यार होते kya aapko yah pankti sahi lagti hai? sochiyega is pankti se kya kya arth nikalte hain mujhe nahi lagta ki aapne sahi sabd chayan kiya hai
आलोकित जी //
जवाब देंहटाएंमेरे बात पर गौर फरमाए , पुनः पढ़े ...शायद बात स्पस्ट हो जाए
बबन जी बहुत सुन्दर लिखा है आप ने,
जवाब देंहटाएंतारीफ़ के काविल है |
बहुत बहुत धन्यवाद
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक प्रस्तुति..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंji punah punah padh chuki tabhi likha aam taur par in vishayon ko padh kar main aage badh jati hun par yanhaa likha kyunki galat laga mujhe. kya aap ye kahna chahte hain ki koi charitrwan haito ye uski majburi hai? wahi aurat sahar mein hoti to charitrheen ho jati? saharon mein bhi aisi bahut si auraten hain jo akeli hain lekin unke कई यार nahi hua karte
जवाब देंहटाएंaalokita ji
जवाब देंहटाएंचुकी अगर वह औरत शहर में होती,..तो किसी को नहीं पता होता की उसका पति aids से पीड़ित था ...और लोग उसके करीब आते .." उसके kaii yaar होते"
ise charitrhintaa में n liya jaaye
aalokita ji
जवाब देंहटाएंचुकी अगर वह औरत शहर में होती,..तो किसी को नहीं पता होता की उसका पति aids से पीड़ित था ...और लोग उसके करीब आते .." उसके kaii yaar होते"
ise charitrhintaa में n liya jaaye
bahut sundar pandey ji..
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील प्रस्तुति...!!
जवाब देंहटाएंबबन जी कुछ सत्य कटु होते है आपने उस स्थिति से परिचय करवाया इस रचना के द्वारा
जवाब देंहटाएंएक मार्मिक कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक कविता ......बिल्कुल सच्चाई बयां करती हुई.
जवाब देंहटाएंGehraiyon ko apne me samate hue ek bhavpurn rachna k liye badhai
जवाब देंहटाएंरचना धर्मिता का ख्याल कीजिये " यार" जैसे अनावश्यक शब्द के कारण कितनी ही व्यखायानी प्राप्त हुई आपको .
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