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रविवार, 16 जनवरी 2011
मन भवरा बड़ा बेईमान
जवानी की यादों की
झूला वे झूले
उनके बाल है उजले
गाल है रूखे
मन भवरा दौड़े
जिधर फूल देखे //
वे पीते है जी भर कर
उरों के दो प्याले
गंध अभी भी हैं फूलों में
भरसक वे सूखे
मन भवरा दौड़े
जिधर फूल देखे //
हाथो से लाठी का
लेते वे सहारा
आंखों का मत पूछो
वे तो नजारों के भूखे
मन भवरा दौड़े
जिधर फूल देखे //
बातों ही बातों में
चुटकी वे लेते
होते हैं खुश देख
नाती और पोते
मगर कोयक की कुक सुन
मन उनका चीखे
मन भवरा दौड़े
जिधर फूल देखे //
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बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंआपकी सुविधा के लिए इसे देवनागरी लिपि में कर दिया है!
यदि चाहो तो कॉपी करके पोस्ट में दोबारा चिपका देना!
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जवानी की यादों की
झूला वे झूले
उनके बाल है उलझे
गाल है रूखे
मन भवरा दौड़े
जिधर फूल दिखे
वे पीते है जी भर कर
जाम के दो प्याले
गंध अभी भी है फूलों में
भरसक वे सूखे
मन भवरा दौड़े
जिधर भी देखे
हाथों से लाठी का
लेते वे सहारा
आंखों का मत पूछो
वे तो नजारों के भूखे
मन भवरा दौड़े
जिधर फूल देखे!!
बातों ही बातों में
चुटकी वे लेते
होते हैं खुश देख
नाती और पोते
मगर कोयल की कुक सुन
मन उनका चीखे
मन भवरा दौड़े
जिधर फूल देखे!!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति । शास्त्री जी ने गजब का फ़िनिशिंग टच दिया है । बधाई आपको । प्रणाम आदरणीय शास्त्री जी को । - आशुतोष मिश्र
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंmja aa gya ji bahut hi sunder kavita hai
जवाब देंहटाएंक्या बात है बबन भाई......आपने तो कालेज की यादे ताज़ा कर दी.....हा हा हा....बहुत ही सजीव चित्रण किया है आपने...
जवाब देंहटाएंbahut khoob..........baban ji, Yuvavastha ka bahut hi sunder chitran...........Shastri ji ka finishing touch ghazab ka hai................
जवाब देंहटाएंपांडे जी बहुत ही अच्छी कविता की रचना लिखे हो सादर धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबबन भाई आपसे और सभी मित्रों से विनम्र निवेदन है कि आप सभी हमारे ब्लॉग 'ज्ञानोदय' से जुड़ कर हमारा मार्गदर्शन करें आपकी संतुष्टि ही हमारे मेहनत का फल होगा
जवाब देंहटाएंhttp://santoshvch.blogspot.com
आप सभी से अनुरोध है कि कृपया यहाँ पधारे www.santoshvch.blogspot.com
जवाब देंहटाएंजीवन के अलग अलग रूपों को एक सूत्र में पिड़ो ....बहुत ही अच्छी कविता....
जवाब देंहटाएंबबन जी उमर के कई आयाम दर्शाती एक बहुत ही सुंदर रचना आपकी, शुक्रिया सांझा करने के लिए..............:))
जवाब देंहटाएंजिंदगी के रंग को दिखाने की अच्छी कोशिश
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
Sundar abhivyakti.
जवाब देंहटाएं-Gyanchand marmagya
भवरा बड़ा बेईमान
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता है
वे पीते है जी भर कर, उरों के दो प्याले, गंध अभी भी हैं फूलों में
जवाब देंहटाएंभरसक वे सूखे, मन भवरा दौड़े जिधर फूल देखे ! ... वाह वाह सचमुच जवानी की कहानी "भवरा बडा बेईमान" बहुत ही अच्छी कविता !
बहुत ही सजीव चित्रण किया है| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंलगता है स्कूल में शरारती रहे होंगे
जवाब देंहटाएंअभी तो मैं जवान हुँ ! बहुत ही सुन्दर रचना! जुग जुग जियें !
जवाब देंहटाएंकभी कभी ईमान भी बेईमान कहलाता है!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब बब्बन भाई :)