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मंगलवार, 25 मई 2010

पिता -पुत्र : वार्तालाप

विश्व कप होकी में मैच हारने
के बाद ...
बच्चे का प्रशन
पापा !!!
हम क्रिकेट में ही आगे क्यों
आप क्यों नहीं खेलते ...
होकी और फूटबाल॥
तुम क्या खेलते हो पापा !!!


पापा का ज़वाव--
जब मैं बच्चा था
खेला करता था
अपने भाई - बहनों के साथ
चोर - पुलिस का खेल ....
जिसमे हमेशा
पुलिस , चोर पर भारी पड़ती थी
आज भी यही खेलता हू ..मेरे बेटे
मगर अब !!
चोर , पुलिस पर भारी पड़ता है

जब मैं बच्चा था ...
खेलता था कच्ची मिटटी की गोलियों से
आज भी खेलता हू ....
गोलियों से ही ........
मगर वो मिटटी की नहीं होती


जब मैं बच्चा था ..मेरे बेटे !!
हवा वाली बन्दूको से
खेला करता था ...
आज भी खेलता हू....
बन्दूको से ही
मगर वो ए . के .छप्पन होती है
अब तो बेटा .....
बहुत बड़ा खेल खेलता हू
पुल उड़ा देता हू
बस उड़ा देता हू ॥

बच्चा निरुत्तर था ...
उसका अंत मन
अखबारों के समाचारों
और ....
पापा के खेलो का तुलना करता है

फिर प्रशन करता है
क्या आप आतंकबादी हो
क्या आप नक्साल्वादी हो
नहीं बेटा .....
अधिकारों को मांगने वाला
तो फिर सरकार से बात
क्यों नहीं करते ??

जानते हो , पापा !!
बगल वाली आंटी के यहां
आज सब कोई बेल्मुंड(मुंडन कराना) हो रहा है
क्या हो गया है वहां
कोई मर गया होगा !!बेटा

नहीं पापा ,.....
मम्मी कह रही थी
दंतेवाडा में जो बस उडाई गयी थी
उसमे उनके कई लोग मरे है॥


अब !!!!!!!
पापा के सोचने की बारी थी
बोलो पापा बोलो !!
क्या मेरा
स्कुल बस भी
किसी दिन उड़ा दिया जाएगा
और आप भी बेल्मुंड होगे
आप बिना बाल के अच्छे नहीं लगोगे
पापा !!!!!
क्या उसके पापा जैसा ...
आप भी बनाना चाहते है ??

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