शाम ---सुबह होना तय है ॥
रुदन ---हास्य तो होना ही है ॥
धुप ---बहुत जल्द ही बर्षा होगी ॥
पतझर --वसंत को तो आना ही आना है॥
"तलाक "--जीवन में नए रंग भरने की
शुरूआत तो कीजिये ॥
- पहले की यादो को
ओस की बूँद समझिये
जो कब की उड़ चुकी ॥
वो फूल समझिये
जो कब की मुरझा चुकी॥
नयी शुरुयात तो कीजिये !!!!
कपोलें ज़रूर प्रस्फुटित होगी
पंखुड़िया ज़रूर निकलेगी ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें