आज से ५० साल बाद ..
घर के बाहर बैठ कर
एक आदमी
अपने पूर्वजों को ......
गाली दे रहा था ॥
अपने पूर्वजों को कोस रहा था
क्योकि उनलोगों ने
अगर बालिका भूर्ण हत्या पर
कोई रोक लगाईं होती
तो आज मुझे ......
वासना तृप्ति के लिए
सेक्स डौल का सहारा न लेना पड़ता ॥
पूर्वजों ने भूमिगत जल का
इतना शोषण किया .... कि
आज मुझे
पीने का पानी बनाने के लिए
घर में रखने पड़ते है ...
हाइड्रोजन और ओकैसीजन गैस के सिलेंडर ॥
पाइपों के द्वारा
समुद्र का जो शोधित पानी ....
मेरे घर तक आता है ....
मैं उसका बिल भर -भर कर
परेशांन हो चूका ह ॥
भूमि का इतना दोहन किया
कि आज मुझे
आयरन , विटामिन और कैल्सियम की
गोंलियो के अतिरिक्त ....
अपनी भूख मिटाने के लिए
खाना पड़ता है .....
कार्बोहईडेरेट , प्रोटीन और फैट की गोलियां ॥
मेरे पूर्वजो ने ....
सब पेड़ काट डाले
वातावरण को इतना प्रदूषित कर दिया
मुझे हर वक़्त लगाना
पड़ता है ......
अपनी नाक में एक
भारी भरकम वायु शोधन यंत्र
उसके पास इतने पैसे नहीं ...कि
शुद्ध हवा लेने के लिए
भारी टैक्स अदा कर सके ॥
अचानक घर से
माँ के चीखने की आवाज़ आयी
वह दौड़ा ...
उसकी माँ मरी पड़ी थी
शायद
रोबोट का गलत बटन दब जाने से
उस मशीन ने माँ की गर्दन दबा दी ॥
क्या हम ....
अपने बाल - बच्चो से
अपने पिंड -दान के बजाय
गाली सुनाने के लिए तैयार है ॥
वाह! वाह-वाह!! जबरदस्त! बहुत अच्छी भड़ास! पसंद आई! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंWah,..wah...bilkul sateek baat
जवाब देंहटाएंthanks//
जवाब देंहटाएंmanoj ji and rohit kushwaha ji //
अपने जीवन स्तर को उठाने के लिए अगर हमारे पुर्वजों ने ये सब किया है तो कोई गलत नहि किया है वरना हम आज भी उसी पाषान युग मे जी रहे होते ! ये बात सही है कि बालिका भ्रूण हत्या बिल्कुल अमानवीय है परन्तु इस पर सिर्फ इसलिए रोक लगा देना कि हमारी आने वाली पीढी को इससे सेक्स सुख की प्राप्ति होगी, ये भी कोई मानवीय कार्य न होता ! यदि आज का इन्सान अपनी इन्द्रियो को काबू न कर पाए और नारि को सिर्फ वासना त्रृप्ति का साधन मात्र मानता है तो वो पशु के समान ही है !
जवाब देंहटाएंabhi bhi waqt hai, sudhar jane ka...!!
जवाब देंहटाएंOH.. what is going on .. it is beyond thinking ... but u tried bset sir jee
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