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रविवार, 30 मई 2010

कुत्ता और भेडिया ( एक व्यंग कविता )

चोरी - डकैती की घटनाये
बढ गयी थी ।
लोगों ने सभा बुलाई ....
फैसला लिया गया ...
रखवाली के लिए ...
कुछ कुत्ते और पहरेदार नियुक्त किया जाय ॥
पाच सालो के लिए ॥

पाच साल बाद पुनः
सभा हुई ॥
कुत्ते और पहरेदार के बारे में
खूब चर्चा हुई ....
सर्वसम्मति से निर्णय हुआ कि....
कुत्ते को बदल दिया जाय
भौकता ही नहीं है ....
मगर लोगो का यह निर्णय
गलत हो गया .....
इस बार वाला कुत्ता .....
कुत्ता ही नहीं रहा
वो भेडिया बन गया ॥

(20 साल पहले लिखी गयी मेरी एक रचना )

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