कभी खायो आलू का चोखा
कभी बनाओ खिचड़ी ।
बात जितनी चली पाकिस्तान से
उतनी ह़ी बिगड़ी ॥
कभी दौड़ी एक्सप्रेस में ,
कभी पटरी से उतरी
समझोते की गाड़ी।
विदेश नीति के मामले में
हम है अनाड़ी॥
अमरीका ने दी उनको सहायता
उठ जाता है नया सवाल ।
उनको छोड़ो , अपनी देखो
लोग रोज हो रहे हलाल ॥
चीन की शह पर
देते हो रोज नया फरमान ।
आपके हाथ में है बन्दूक
तो क्या मेरे हाथ है तीर -कमान ॥
wah...wah...bade Bhai Ji, apne to dhire-dhire bahut kuch kaha dala...
जवाब देंहटाएंWah...wah Shree Baban Bhai Ji, aap ne to dhire-dhire bahut kuch kah dala...
जवाब देंहटाएंWah pandey ji wah
जवाब देंहटाएंmai ise apne mukh pristh par post aur share kar raha hun.
satik vyang
जवाब देंहटाएंखूब लिखा बब्बन जी ........
जवाब देंहटाएंPandey ji, aap bahut achchha likhte hain. badhai.
जवाब देंहटाएंलाजवाब
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