सितम्बर १९८१ ....आज मुझे एडमिशन के लिए जाना था उस संस्थान में , जो इंजीनिअर पैदा करते है /मैट्रिक की परीक्षा दी थी, उसी समय पिताजी के कृषि कार्यालय गया में कार्य करनेवाले उनके मित्र ने मेरे हाथ की लकीरों को देखकर कहा था कि तुम टेक्नीकल लाइन में जाओगे /शायद तब मैं उनका आशय समझ नहीं पाया था /
मैं धनबाद से थोड़ी ही दूर कतरासगढ़ में एक परिचित के यहाँ रुका था /एक घंटे का रास्ता तय कर संस्थान में आया /मुझे शाम चार बजे तक लौट भी जाना था ..क्योकि जगह अनजान थी और पिता जी आदेश के अनुसार मुझे लौट भी जाना था /एडमीशन के बाद हास्टल भी ऐलोट कर दिया गया / मुझे जाने की जल्दी थी तथा दुसरे दिन पूरा सामन लेकर पुनः आना भी था /
हमारी आँखें अपरिचितों की भाषा तुरंत पढ़ लेती है /गेट से निकलते ही एक व्यक्ति ने रोका /पूछा - एडमिशन हो गया ना / मैंने स्वीकृति में अपना सर हिलाया /फिर वह व्यक्ति थोड़ी दूर ले जाकर अपना परिचय देने को कहा /मैंने सीधी भाषा में अपना नाम ,पिता का नाम ,ग्राम ,पोस्ट जिला वैसी ही बता दिया ...जैसा गावों में बच्चो को सिखाया जाता है /उस व्यक्ति ने तल्ख़ आवाज में कहा - मैं तुम्हारा सीनिअर हूँ जो कहता हूँ करते चलो ...अपना हाथ कमर पर रखो तथा उछल -उछल कर अपना परिचय अंग्रेजी में दो /(जारी )
aap uchhaliye, ham next post me aate hain:)
जवाब देंहटाएंअपना फर्स्ट इयर याद आ गया....:)
जवाब देंहटाएंare wah college ke din
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