तकिया ....
सिरहाने से लगी
माथे को सहारा देती
रुई से भरी
नर्म और मुलायम
छोटी सी वस्तु //
नींद नहीं आती
तकिये के बिना
जितनी अच्छी तकिया
उतनी स्वस्थ नींद //
आओ प्रिय !
तुम मुझे,अपनी बाहों का तकिया दो
मैं तुम्हे अपनी बाहों का
ताकि इस भागमभाग में
गुजार लें दो हसीन पल //
bahut khub.
जवाब देंहटाएंताकि इस भागमभाग में
गुजार लें दो हसीन पल
कविता को बहुत ही अच्छी लिखी है आपने
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही सुन्दर रचना है भईया आपकी..
जवाब देंहटाएंबहुत शुभकामनायें आपको ..
अर्थ पूर्ण कविता ...साधुवाद पाण्डेय जी !
जवाब देंहटाएंबबन जी.........बहुत खूब.........बाहों से बढ़िया तकिया .दुनिया में हो ही नहीं सकता.........
जवाब देंहटाएंखटिया गर टूटी हो,छत गर चूती हो ,
जवाब देंहटाएंकम्बल गर फटा हो,पेट गर भूखा हो,
वक़्त गर गर्दिश में हो,रात अंधियारी हो,
गर तेरी बाँहों का तकिया मिल जाए,
वह पल स्वर्ग से भी सुन्दर हो जाए.
:).............
जवाब देंहटाएंhamare pass takya hai sir..!
Bahut hi sundar .....bhavpurna kavita .....
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंbhai sahib ...........takiya gar bhaaon ka ho kya baat ...........sukhad ahsaas .........wah
जवाब देंहटाएंप्रेम की बहुत ही सुन्दर परिभाषा .......
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार ०५.०२.२०११ को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति। साथ ही एक बात बा अदब ये कहना चाहूंगा कि इसकी 'अन्तिम दो पंक्ति "ताकि इस भागमभाग में गुज़ार लें दो हसीन पल" मुझे एक्सट्रा लग रहे हैं" इन दो पंक्तियों के बिना कविता ज़ियादा प्रभावशाली होगी ऐसा मैं महसूस कर रहा हूं।
जवाब देंहटाएंbahut sundar pyaar ke pal/
जवाब देंहटाएंसही समय पर प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति आपने प्रस्तुत की है!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरती से अपनी बात कह डाली और किसी को खबर भी न हुई !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अंदाज़ !
bahut sunder....nice way of expressing .......
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवाह! इससे बढिया तकिया और क्या होगा।
जवाब देंहटाएंअगर उनकी बाहों का तकिया मिल जाए तो उम्र यूँ ही गुज़र जाए ... बहुत खूबसूरत लम्हे ...
जवाब देंहटाएंरचना कोमलांगी है, और सुंदर भी।
जवाब देंहटाएंअर्थात बहुत अच्छी।
बस देखते ही रहो पढ़ते ही रहो।
.
सुंदर रचना के लिए साधुवाद! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति....!।
जवाब देंहटाएंवाह! इससे बढिया तकिया और क्या होगा।
जवाब देंहटाएंकुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएं....माफ़ी चाहता हूँ
" बाहों का सिरहना "..बहुत ही उम्दा अन्दाज भाई साहब....
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