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शनिवार, 5 फ़रवरी 2011
लड़की उवाच
लड़की उबाच .....
प्रिय ! तुम व्यर्थ में चिंतित हो
क्या कर लेंगीं
सूर्य की पराबैगनी किरणें
मेरे गोरे वदन को
क्रीम और लोशन किसलिए है //
बहुत दिनों तक
नारी सावत्री बनी रही
कपड़ों से ढंकी रही
विटामिन डी की कमी से
हड्डियां कमजोर हो गयी //
अब नया ज़माना आया है
रोम-रोम में
वासंती वयार बहने दो
भागमभाग में थोडा सा ही सही
काम का खुमार तो जागने दो //
अब खुले वदन पर
बेख़ौफ़ पड़ती है सूर्य किरणे
मुझे मिलती है विटामिन डी
और कवियों को मिलती है
सौन्दर्य की लड़ी //
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नवयुग का नया गीत!
जवाब देंहटाएंमयंक जी का हार्दिक नमन
जवाब देंहटाएंकुछ तो स्वास्थ्यवर्धक सोच पैदा हुई... आपने बबन जी एक अच्छा नुस्खा दिया है.. विटामिन डी की खातिर अब कंही ये नज़ारा आम ना हो जाये..
जवाब देंहटाएंमजा आ गया...!
जवाब देंहटाएंअति सुंदर रचना...!!
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंbehtareen
जवाब देंहटाएं"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
जवाब देंहटाएंशब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।
" ये खुली-खुली सी जुल्फें,ये उड़े-उड़े से गेसू,
जवाब देंहटाएंतेरी सुबहा कह रही है तेरे रात का फ़साना "
भाई बब्बन जी,विटामिन "D"तो फ़क़त बहाना?
सुन्दर वर्णन के लिए शुक्रिया,<>शुभकामना.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअब खुले वदन पर
जवाब देंहटाएंबेख़ौफ़ पड़ती है सूर्य किरणे
मुझे मिलती है विटामिन डी
और कवियों को मिलती है
सौन्दर्य की लड़ी // Yekdum durust, baban ji [BK Amatya]
bhut hi aachi kabita hai
जवाब देंहटाएंकवि तो हर युग में खुराक पाते रहे हैं, पर आज की नारियों की हड्डियां ज़रूर मज़बूत हुई हैं, और वो समाज के शोषण के विर्रुद्ध उठकर खड़ी हो रहीं हैं।
जवाब देंहटाएंबबन जी ..........बहुत खूब...........अंग प्रदर्शन करने और देखने के लिए लोगो को एक बहाना दे दिया.............वाह.........
जवाब देंहटाएंसच कहा नरेश जी .... चित्र के बहाने खूब टिप्पणियाँ भी .....सेक्सी विषय जो ठहरा सबका मनचाहा ...
हटाएंBaban jee maan gaye kya chun ke vishay talasha hai aapnein... Waah... :))
जवाब देंहटाएंwah ustad wah
जवाब देंहटाएंfir ham kyon jacket aur full shirt pahante hain..:P
जवाब देंहटाएंआपको विटामिन डी की नहीं ई की आवश्यकता है....
हटाएंbahut sunder shabdo ka istemaal badi khoobsurti se kiya hai....bhai
जवाब देंहटाएंशानदार रचना.
जवाब देंहटाएंआज के सामाजिक परिद्रिस्य पर सटीक टिपण्णी ....
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत सुन्दर मन को भावुक कर दिया आभार / शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंsir jiaap ke viyang ka jabab nahi bhadiya hen jiiiiiiiii
जवाब देंहटाएंACHHA LAGA
जवाब देंहटाएंरोचक, अलग तरह की अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंnaye jamane ki nai soch.
जवाब देंहटाएंye to sahi likha aapne.....
जवाब देंहटाएंहाँ नैन सुख के साथ लव हारमोन भी मिलता है प्राण प्रिय
जवाब देंहटाएंचाहे जहां से जिससे जैसे भी मिले.....
हटाएंवाह....बहुत गंभीर कटाक्ष....बड़े प्यारे ढंग से....!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंNice lines and Pictures too.
जवाब देंहटाएंपश्चिम् परस्तों को एक नया बहाना थमा दिया आपने .... अब जाने कहाँ - कहाँ से विटामिन 'डी' तापने की वकालत होगी ...
जवाब देंहटाएं'वेहतरीन रचना ,
kya khub likha
जवाब देंहटाएंअधिक विटामिन डी भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है :)
जवाब देंहटाएंये हुई न बात .....
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