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शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010

शाश्वत संगीतकार


प्रभु !!!
आपसे बड़ा संगीतकार कोई नहीं
आपने दिया संगीत
शंख में
कलियों के चटखने में
बांस की बनी फट्ठियो में
और सूखे पत्तों में भी ॥



आपने दिया संगीत
बन्द लवों में
बच्चो की निश्छल खिलखिलाहट में
बेटी की विदाई में
एक माँ का रुदन संगीत ही तो है ॥

मनुष्य ने आपके संगीत को
नहीं समझा प्रभु
अपनी उपलब्धियों पर
ताली तो वह ,बजाता है
पर नहीं जानता
हाथो से बजी ताली को भी
संगीत आपने ही दिया
आप शास्वत संगीतकार है ॥

29 टिप्‍पणियां:

  1. पर नहीं जानता
    हाथो से बजी ताली को भी
    संगीत आपने ही दिया
    आप शास्वत संगीतकार है ॥
    बहुत सुन्दर। बधाई।

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  2. सही कहा आपने, वही शाश्वत संगीतकार है, वही कर्तार है. बिना उसकी मर्जी के दुनिया में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता. जय हो!

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  3. वाह पाण्डेय जी आप ने मन आह्लादित कर दिया, बहुत सुन्दर रचना, वास्तव मे इन संगीतों को उस संगीतकार ने ही बनाया, बहुत सुन्दर॥

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  4. बबन जी.....बहुत बढिया रचना आपकी ......बिल्कुल सही कहा आपने ..........उस से बड़ा संगीत कार /कलाकार कोई नहीं..............हम अपने को चाहे कितना भी ऊँचा प्रस्तुत करने कि कोशिश करे...........पर उसके ही काम हमें आगे बढ़ने कि प्रेरणा हमेशा देते रहेंगे..........क्योकि हम उसकी बनायीं किसी एक चीज के बारी में अध्यन करते है और अपने को पारंगत समझते हैं ........पर वो उस से पहले ही.हमारे सामने दूसरी चुनौती खड़ी कर देता हैं.....उस संगीतकार प्रभु को शत्-२ नमन....

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  5. satya likha hai...
    prabhu ki prerna se unka goongaan sada yun hi karti rahe aapki kalam!!!
    regards,

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  6. प्रिय बब्न भाई आपकी हर रचना बहुत बढ़िया होती है.....ये रचना भी आपकी बहुत अच्छी है.....उससे बढ़ा कलाकार और कोई हो ही नहीं सकता है....उस की तो बात ही निराली है...........

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  7. बहुत ही सुन्दर और सार्थक कविता है , बहुत बहुत बधाई भाई साहब!परन्तु एक बात मैं कहना चाहुँगा...एक सच्चा कलाकर अपनी उपलब्धी पर खुश तो हो सकता है परन्तु इसका श्रेय वो अपने ईष्ट को ही देता है ईसलिए तो किसी कलाकार ने अपने सृजन को कुछ ईस तरह गाया है ... "मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है!"

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  8. बबनजी,
    असली कलाकार तो "प्रभू" ही हैं... निराकार पर सर्वविद्यमान... शब्द में भी एवं संगीत में भी...
    आपने बिल्कुल सही नब्ज पकड़ी है... क्या कहने आपके...

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  9. Babanji, ishwar ne sansaar ko itna sangeetmai banaya hai ki sunna chahen to har jagah sangeet sunai de. Parantu hum apne aap mein itne vyast ho chuke hain ki us sangeet ko sun hi nahin paate.Beautiful........ganga ke kinare, shaant mein jaa kar baithiye........usse sunder koi awaaz hi nahin lagti.

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  10. प्रणाम उस शाश्वत संगीतकार को...और उसे भी जो इस शाश्वत संगीत को सुन कर समझने की कोशिश करता है ....
    उसके सन्देश सृष्टि के कण-कण में गुंजायमान हैं.. सुने और समझें तो संसार से सारे विवाद कब के ख़तम हो जाएँ
    और हम उसके संगीत के आनंद लोक में अपने सारे झगडे विसर्जित कर खो जाएँ...इतने सुन्दर विचार के प्रसार
    के लिए आपको भी प्रणाम

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  11. सादर नमन उस संगीतकार को और आप को भी|
    उसी से प्रेरणा लेकर सरे वाद्ययंत्र बने हैं|
    बहुत सुन्दर रचना|

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  12. चन्दन भारतीय जी /श्रवन शुक्ल जी ...भाई ब्रिजेश त्रिपाठी जी ...आप लोगो का अभिवादन

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  13. Baban ji aapne bilkul sahi kaha is Sangeetkaar ko saadar naman, jisne prakriti me apne sangeet ka rang bhara, vo hi hamari prerna ka strot hai, uski prerna se ham jeevan ke path per aage badte hai, aur apni uplabdhio per phoole nahi samate, bhool jaate hai, ki uski Iksha ke bagair to ham apni aankh ki putli bhi nahi hila sakte, vo kan kan me vyapt hai, ham sab me nihit hai vo, jisne is baat ko samjh liya samjho usne us Paramsatta ko paa liya..........

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  14. wah baban jee!
    jis bariki se aapne kudrat ka diya huwa har ek aawaaj ko bhagawan ka diya huwa ek meethi sangeet kaheke paribhashit kiya hai uska koi jawaab nahi.
    Bimal jha

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  15. ईश्वर को लेकर रची गई एक बेहतरीन कविता...मुझे बहुत अच्छी लगी।

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  16. हाथों की तालियों के संगीत की तराज इशारा कर के आपने हमें आश्चर्यचकित कर दिया बबन भाई| बधाई|

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  17. ताली चाहे खुद के लिए बजे या दूसरों के लिए सुर आपके ही होते है प्रभु...........दिल को छूने वाली रचना

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  18. Bhai Ji, bahut hi achi rachana hai..."PRABHU" ke upar ye rachana ati sundar hai...wahi saba
    kuch karata hai...uske bina ek patta bhi nahi hilta hai...aap ne aneko udaharan dekar batane ki koshish ki hai ki sabase bada khiladi wahi hai...ham usi ke isare par sab kuch karate hai...vastav me Bhai Ji, asli sangitakar wahi hai...sabhi me sur wahi bharat hai...
    Bhai Ji, aap ka har ek rachana kabile tarif hota hai...sab me kuch n kuch sikh hoti hai...aap ko is amulya rachana ke liye Dhanyawad.

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  19. अतुलनीय भाव हैं आपके, बब्न जी. शायद ही महसूस कर सके ये जहाँ

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  20. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  21. बबन जी,
    जिस खूबसूरती से इश्वर द्वारा प्रदत्त इस अमूल्य उपहार को आपने सामने रखा लाजवाब है, बेमिसाल है, अद्वितीय है, अतुलनीय है.
    मन संगीतमय हो गया, गदगद हो गया. यह रचना आधुनिक कविता के अगली पंक्ति में स्थान पाने योग्य है.

    दुःख तो वही है जो आपने भी व्यक्त किया है. संगीत ही क्यों ईश्वर द्वारा प्रदत्त अन्य अमूल्य उपहारों का मूल्य आज का अति सुविधाभोगी इन्सान नहीं समझता या समझना नहीं चाहता.
    धन्यवाद इस अमूल्य रचना प्रस्तुत करने के लिए.
    जय हो !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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  22. बहुत ही सुन्दर रचना है . इश्वर की प्रत्येक क्रिया में संगीत है, उसकी हर रचना संगीतमयी है , वीभत्स और रौद्र रूप में भी वह संगीतमय है . धन्यवाद .

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  23. Baban Bhaiya aapne hamaari ragon me jaan phook di.
    Sanch hai uparwala kan-kan me rahta hai, sabkuchh vahi karta hai, hamaara ham ahankaar hai, ghamand hai, jhothi saan hai. Aapki pankti sabkuchh byan karti hai. Bahoot Khoob.
    मनुष्य ने आपके संगीत को
    नहीं समझा प्रभु
    अपनी उपलब्धियों पर
    ताली तो वह ,बजाता है
    पर नहीं जानता
    हाथो से बजी ताली को भी
    संगीत आपने ही दिया
    आप शास्वत संगीतकार है ॥

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