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मंगलवार, 19 अक्टूबर 2010

छाता

छाता
उसके काले होने पर
मत जाईये
सोख लेता है
धूप
चुपचाप ॥

वो देखिये
अनजाने में भी
साथ हो लिए
एक छाते के अन्दर ॥

माखन चोर ने भी
बनाया था छाता
गोवर्धन पर्वत का
अपने सखाओ को
बचाने के लिए ॥

हमें भी
बनना चाहिए
एक -दुसरे का छाता ॥

12 टिप्‍पणियां:

  1. Babanji, very well written, mauka mile to kabhi kisi ka chhata ban kar to dekhiye. zindagi khoobsoorat nazar aane lag jaayegi. Apne liye to sabhi jeete hain.....kabhi kisi ka gam baant kar to dekhiye.....Bahut khoob.

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  2. बेहद सशक्त और गहन अभिव्यक्ति।

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  3. Bahut khoob Baban bhai, maakhan chor ne bhi banaya tha ek chhata Gobardhan Parvat ka, apne sakhao ko bachane ke liye, hame bhi banna chahiye, ek dusre ka chhata....dusro ka chhata banne ka apna hi maza hai, dusro ki khushi se khush hona birlo ka hi kaam hai....hardik badhai.

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  4. सुन्दर रचना! घर घर मे घुसकर अपने जैसा बनने की प्रेरना देता हुआ आपका ये " छाता " बहुत सुन्दर है ! बहुत बहुत बधाई भ्राता श्री!

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  5. बबनजी,
    भगवान श्रीकृष्ण द्वारा ब्रजवासियो की रक्षार्थ के बनाये गये छाते "श्रीगोवर्धनजी" द्वापरयुग से आजतक श्रद्धालुओ की सुनवायी अनवरत् किये चले आ रहे हैं... और असंख्य श्रद्धालु दिन-रात मौसम-बेमौसम अविराम "श्रीगोवर्धन जी" की परिक्रमा अनवरत दिये चले जा रहे हैं... और "श्रीगोवर्धन जी" अपने चाहनेवालो की मनोकामनायें पूर्ण किये जा रहे हैं...
    बबनजी, आपकी रचनायें कभी कभी दिल के काफ़ी करीब पहुन्च जाती हैं...

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  6. ek dusre ko visham paristhitiyon se bachane hetu prayasrat hone ki sundar sheeksha deti kavita!
    regards,

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  7. प्रिय अनुज बब्बन जी ये मात्र साधारण "छाता" वो छाता नहीं है इसके आड़ में आपने सम्पूर्ण ब्रम्हांड के अंतर्गत रहने की द्रव द्रष्टि के दर्शन करा दिए I " माखन चोर ने भी बनाया था कभी छाता गोवर्धन पर्वत का अपने सखाओं के बचाने के लिए " आज इस नये परिपेक्छ में हर लोग अपने अपने नये रंग बिरंगे छाते लिए फिर रहें है. कोई धर्म का, कई जात का, भ्रष्टता का, दमंगी का पर जो भई चारा का, आदर्श का बचाने का, संरक्छ्ता का वो छटा कहाँ आज कल? अति सुंदर रचना के लए हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएं I

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  8. क्या बात है बबन जी छाता अब छाते रहे कहा...ाब छाता पर्स मे रहता है और एक तुफान से खुद को नही बचा पाता तो ..काश आप का ये छाता फिर से मिल पाता.. बहुत खूब लिखा है सर...

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  9. कहते के माध्यम से बहुत ही सुंदर तरीके से अपने अपनी बात कही
    सुंदर रचना के लए हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएं I

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  10. हमें भी बनना चाहिए
    एक -दुसरे का छाता |
    सच में अगर इस तरह से लोगों में जागृति आगयी और हम एक दूसरे का छाता बन्ने लगे तो वो दिन दूर नही जब हम आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर समाज के निर्माण में सक्षम हो जायेंगे| भारत के लिए स्वर्णिम युग कहलायेगा और निश्चय ही हम भारत माँ का नाम दुनिया में रौशन कर सकेंगे|

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