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गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

रास्ते

युवा हूँ ...
जिस जगह खड़ा हूँ
रास्तों की गुत्थमगुत्थी
शुरू होती है वहाँ
कुछ रास्ते छोटे है
कुछ बहुत लम्बे
चुनना है सिर्फ एक
अपने लक्ष्य तक पहुचाने के लिए ॥

तो सुनो ...मेरे दोस्तों
अपने आपको तौलो
हर कसौटी पर
फिर चुनो अपना रास्ता
नहीं तो ....
निढाल हो गिर जाओगे
बीच रास्ते में ही ॥

6 टिप्‍पणियां:

  1. जहां रास्ते हैं... वहां मंजिलें भी हैं
    जहां मंजिले हैं.. वहां दुश्वारियां भी हैं
    इस सब को रोंदते हुये आगे बढिये...
    आसामा बाहें फ़ैलाये आपका खैरमकदम करेगा...

    सुन्दर एहसास भरी रचना के लिये बधाई

    प्लीज रिमूव वर्ड वैरीफ़िकेशन.. इट इस आलवेज वैरी इरीटेटिंग

    लिखते रहिये

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  2. बहुत सुन्दर लिख रहे है आप पाण्डेय जी लिखते रहिये....मेरी शुभकामनाये

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  3. honestly speaking Pandey Ji, aap achchha nahi likhte. ................................................................................................................. BAHUT ACHCHHA LIKHTE HAIN.

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  4. सभी मित्रो को हार्दिक बधाई ..पढ़ते रहिये लिखते रहिये

    जवाब देंहटाएं

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