राम थक चूके थे
रावण को बाण मारते -मारते
विभीषण ने बताया
उसकी नाभि में तो अमृत है
राम ने अमृत घट फोड़ दिया
रावण मारा गया ॥
तुम भी थक जाओगे
मेरे दोस्त !!!
सत्य को मारते -मारते
क्योकि ....
सत्य रूपी मानव के
अंग -अंग में अमृत -कलश है ॥
अगर , सत्य को
जिंदा भी दफ़न कर दोगे
मेरे दोस्त ... तो वह
कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा ॥
satya ki swayamsiddhta ko sundarta se vyakt kiya hai!
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen!
बबन भाई हर रावण रूप के साथ भिभिषण भी होता है , यह भी सच है I
जवाब देंहटाएं"सच कभी नहीं मरता लेकिन कैद तो हो सकता है I
अगर , सत्य को
जिंदा भी दफ़न कर दोगे
मेरे दोस्त ... तो वह
कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा"
अति सुन्दर , मान गए गुरु हो I जय हो I
बहुत ही अच्छा उदाहरण दिया है बबन जी। राम और रावण के द्वारा सच को बहुत सुंदर तरीके से व्यक्त किया है आपने। सही कहा है क्योंकि सर्वविदित है कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है।
जवाब देंहटाएंतुम भी थक जाओगे
जवाब देंहटाएंमेरे दोस्त !!!
सत्य को मारते -मारते
क्योकि ....
सत्य रूपी मानव के
अंग -अंग में अमृत -कलश है ॥
अगर , सत्य को
जिंदा भी दफ़न कर दोगे
मेरे दोस्त ... तो वह
कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा ॥
सत्य की बेहद उम्दा और सुन्दर परिभाषा दी है आपने…………सत्य हमेशा हर युग मे सत्य ही रहता है………………बेहतरीन अभिव्यक्ति।
शुक्रिया वंदना जी ../अनुपमा पाठक जी /लक्षी नारायण जोशी जी /सुशिल जोशी जी ...पढ़ते रहिये
जवाब देंहटाएंसत्य की बेहद उम्दा और सुन्दर परिभाषा दी है
जवाब देंहटाएंआदरणीय बबन पांडये जी..
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
... sundar rachanaa ... behatreen !
जवाब देंहटाएंभाई वाह!!!!
जवाब देंहटाएंइत्ता ही कहूँगा........
आज कल तो हर सक्स रावण दिखाई देता है साहब ! बेसक सत्य अमृत का प्याला पिये हुए क्यों न हो पर क्या ये कोई मर्यादा पुरुसोत्म बनकर जन जन मे समाये हुए रावनी रुप का वध कर पाएगे ?...
जवाब देंहटाएंपरन्तु आपकि कविता दिल को तसल्ली और दिलासा देता है ....
अगर , सत्य को
जिंदा भी दफ़न कर दोगे
मेरे दोस्त ... तो वह
कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा... बहुत ही मर्मस्पर्सि दिल को छु लेने वाली !
me hamesa se hi kehta aya hu aap jo bhi vaykat karte hai vo lajwab or ankol hota hai,dhanyawadd
जवाब देंहटाएंVed kahta hai.
जवाब देंहटाएंSatyamev jayete, na aritam
Satya ki hi vijay hoti hai, jhooth ki nahi.
Conf. English
Satyam = Certain.
Rit = Right
Jay = Joy
Na = No
सच कहा आपने इस सत्य को मारते मारते हम भूल ही गए है की आखिर सत्य क्या है और झूठ क्या ?
जवाब देंहटाएंvery true....satya vani Babbanji.....sayamev jayate...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब कहा आपने.....
जवाब देंहटाएंअगर , सत्य को
जिंदा भी दफ़न कर दोगे
मेरे दोस्त ... तो वह
कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा ॥
सत्य की बेहद उम्दा और सुन्दर परिभाषा दी है आपने जो सत्य की राह पर चलने वालों को बल देगी.....!
satya hei wahi rahega ...par satya hei kya ?shubkamnayien....aapko
जवाब देंहटाएंbahoot shandaar rachna hai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है आपकी .....बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत खूब,
जवाब देंहटाएंसुन्दर और भावपूर्ण रचना.
बधाई
सुन्दर और भावपूर्ण रचना.बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया अभिव्यक्ति.......
जवाब देंहटाएंwah. bahot sunder.
जवाब देंहटाएंप्रतिक्रिया देने वाले और रचना पढने वाले हर मित्र को मेरा नमन
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDER....!!!!!
जवाब देंहटाएंLies have Speed , But Truth has Stamina.
satya ane main der ho sakti hai par aati jarror hai.
जवाब देंहटाएंअगर , सत्य को
जिंदा भी दफ़न कर दोगे
मेरे दोस्त ... तो वह
कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा ॥
this poem is simply awesome...so simple ...so short and yet...सो captivating!
जवाब देंहटाएंBahut hi sahi baat kahi hai aapne Baban ji Sach kabhi nhi marta, vo nashwar hai, ha jhoot kuch samay ke liye to aapke samne khada hoker aapko muh chida sakta hai, lekin uske kadmo me itni taqat nhi hoti ki vo jyada lambe samay tak sach ke saamne tik paaye, Jhoot hamesha apni jeet per itrata hai, lekin sach ke samne aate hi kahin kone me dupak jaata hai......Sataymaiv Jaite.......
जवाब देंहटाएंसार्थक टिप्पणी के लिए आपका आभार
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