followers

मंगलवार, 12 अक्टूबर 2010

सत्य कब्र से भी निकलकर दौड़ता है

राम थक चूके थे
रावण को बाण मारते -मारते
विभीषण ने बताया
उसकी नाभि में तो अमृत है
राम ने अमृत घट फोड़ दिया
रावण मारा गया ॥

तुम भी थक जाओगे
मेरे दोस्त !!!
सत्य को मारते -मारते
क्योकि ....
सत्य रूपी मानव के
अंग -अंग में अमृत -कलश है ॥

अगर , सत्य को
जिंदा भी दफ़न कर दोगे
मेरे दोस्त ... तो वह
कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा ॥

28 टिप्‍पणियां:

  1. बबन भाई हर रावण रूप के साथ भिभिषण भी होता है , यह भी सच है I
    "सच कभी नहीं मरता लेकिन कैद तो हो सकता है I
    अगर , सत्य को
    जिंदा भी दफ़न कर दोगे
    मेरे दोस्त ... तो वह
    कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा"

    अति सुन्दर , मान गए गुरु हो I जय हो I

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही अच्छा उदाहरण दिया है बबन जी। राम और रावण के द्वारा सच को बहुत सुंदर तरीके से व्यक्त किया है आपने। सही कहा है क्योंकि सर्वविदित है कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है।

    जवाब देंहटाएं
  3. तुम भी थक जाओगे
    मेरे दोस्त !!!
    सत्य को मारते -मारते
    क्योकि ....
    सत्य रूपी मानव के
    अंग -अंग में अमृत -कलश है ॥

    अगर , सत्य को
    जिंदा भी दफ़न कर दोगे
    मेरे दोस्त ... तो वह
    कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा ॥

    सत्य की बेहद उम्दा और सुन्दर परिभाषा दी है आपने…………सत्य हमेशा हर युग मे सत्य ही रहता है………………बेहतरीन अभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं
  4. शुक्रिया वंदना जी ../अनुपमा पाठक जी /लक्षी नारायण जोशी जी /सुशिल जोशी जी ...पढ़ते रहिये

    जवाब देंहटाएं
  5. सत्य की बेहद उम्दा और सुन्दर परिभाषा दी है

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय बबन पांडये जी..
    नमस्कार !

    कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. आज कल तो हर सक्स रावण दिखाई देता है साहब ! बेसक सत्य अमृत का प्याला पिये हुए क्यों न हो पर क्या ये कोई मर्यादा पुरुसोत्म बनकर जन जन मे समाये हुए रावनी रुप का वध कर पाएगे ?...
    परन्तु आपकि कविता दिल को तसल्ली और दिलासा देता है ....
    अगर , सत्य को
    जिंदा भी दफ़न कर दोगे
    मेरे दोस्त ... तो वह
    कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा... बहुत ही मर्मस्पर्सि दिल को छु लेने वाली !

    जवाब देंहटाएं
  8. me hamesa se hi kehta aya hu aap jo bhi vaykat karte hai vo lajwab or ankol hota hai,dhanyawadd

    जवाब देंहटाएं
  9. Ved kahta hai.
    Satyamev jayete, na aritam
    Satya ki hi vijay hoti hai, jhooth ki nahi.

    Conf. English
    Satyam = Certain.
    Rit = Right
    Jay = Joy
    Na = No

    जवाब देंहटाएं
  10. सच कहा आपने इस सत्य को मारते मारते हम भूल ही गए है की आखिर सत्य क्या है और झूठ क्या ?

    जवाब देंहटाएं
  11. वाह बहुत खूब कहा आपने.....
    अगर , सत्य को
    जिंदा भी दफ़न कर दोगे
    मेरे दोस्त ... तो वह
    कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा ॥

    सत्य की बेहद उम्दा और सुन्दर परिभाषा दी है आपने जो सत्य की राह पर चलने वालों को बल देगी.....!

    जवाब देंहटाएं
  12. satya hei wahi rahega ...par satya hei kya ?shubkamnayien....aapko

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुन्दर रचना है आपकी .....बधाई

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत खूब,
    सुन्दर और भावपूर्ण रचना.
    बधाई

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत बढिया अभिव्यक्ति.......

    जवाब देंहटाएं
  16. प्रतिक्रिया देने वाले और रचना पढने वाले हर मित्र को मेरा नमन

    जवाब देंहटाएं
  17. satya ane main der ho sakti hai par aati jarror hai.
    अगर , सत्य को
    जिंदा भी दफ़न कर दोगे
    मेरे दोस्त ... तो वह
    कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा ॥

    जवाब देंहटाएं
  18. this poem is simply awesome...so simple ...so short and yet...सो captivating!

    जवाब देंहटाएं
  19. Bahut hi sahi baat kahi hai aapne Baban ji Sach kabhi nhi marta, vo nashwar hai, ha jhoot kuch samay ke liye to aapke samne khada hoker aapko muh chida sakta hai, lekin uske kadmo me itni taqat nhi hoti ki vo jyada lambe samay tak sach ke saamne tik paaye, Jhoot hamesha apni jeet per itrata hai, lekin sach ke samne aate hi kahin kone me dupak jaata hai......Sataymaiv Jaite.......

    जवाब देंहटाएं

मेरे बारे में