Baban ji Insaniyat ka path padati ek sunder rachna, Insaniyat hi hai jo insaan ke jameer ko marne nhi deti, aur Insaniyat se bada koi dharm nhi hai sansaar me, aaj ke samay me logo me bhavnaye aur Insaniyat mar gai hai, aaj insaan sirf apna swarth dekhta hai....shukriya sbhi ko Insaniyat ko jinda rakhne ka sandesh deti is khoobsurat rachna ke liye.......
बबनजी, आज हम जो भी तरक्की कर रहें है उसके रास्ते हमारे पूर्वजों ने ही बनाये हैं.......उसी प्रकार अगर हम "इंसानियत" में भी अपने पुरखो का दिखाया मार्ग अपनाए तो "इंसान" कहलाने लगेंगे.
आदरणीय बबन सर चरण स्पर्श करना चाहूँगा..आपने आज वो कह दिया जिसने मुझे सदैव विचलित किया है..वो है निरंतर परिवर्तनशील समय के साथ चलना या अपनी पुरानी पीड़ी के स्वरुप को जीवित रखना..मैं निर्णय नहीं ले पाता हूँ और आप भी मेरी लिए ऐसी अधूरी कविता छोड़ गए हैं जिसे पूर्ण करना इस जन्म में मेरे लिए संभव नहीं है..शायद आज की युवा-पीड़ी निर्णय ले सके ... पुनः आपके स्नेह और आशीर्वाद की प्रतीक्षा में..आपका अनुज
wah wah bahut achhe babanji...aapki is prastuti ne hamare purkhon ke dikhaye raaston par chalne ki aakansha ko punarjeevit kar diya hai...aapka hriday se dhanyavaad.
Bade Bhai Shree Baban Ji, ati sundar rachana...mere maan ko bha gayi...kas hum aapne sanskar ko na bhulate, aur jis tarah humm ne पूर्वजों ke basiyat dhan sampati ko sanchaya kar ke rakhate hai...kas usi tarh haumm unke dwara diye gaye "SNSKAR" ko bhi sanchaya kar pate...Dhanyavaad.
बबन जी ................आजादी की लड़ाई के वक्त थोड़ी सी चमकाई थी यह इंसानियत कि पगडण्डी............पर हुआ कुछ ऐसा कि.उसकी चमक से पीछे आने वालो की..........आँखे चौंधियां गयी ......और वो रास्ता भटक गए ........देखते हैं फिर रास्ता कब मिलेगा......
जो अपने पुरखों के बताये रास्ते पर चलता है वो ही सच्चा इंसान है. बहुत सुन्दर रचना के लिए बबन भाई आपको बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंBaban ji Insaniyat ka path padati ek sunder rachna, Insaniyat hi hai jo insaan ke jameer ko marne nhi deti, aur Insaniyat se bada koi dharm nhi hai sansaar me, aaj ke samay me logo me bhavnaye aur Insaniyat mar gai hai, aaj insaan sirf apna swarth dekhta hai....shukriya sbhi ko Insaniyat ko jinda rakhne ka sandesh deti is khoobsurat rachna ke liye.......
जवाब देंहटाएंinsaan ko insaaniyat ke mandir tak panhuchane wali pagdandiyon ko naman!
जवाब देंहटाएंबबनजी, आज हम जो भी तरक्की कर रहें है उसके रास्ते हमारे पूर्वजों ने ही बनाये हैं.......उसी प्रकार अगर हम "इंसानियत" में भी अपने पुरखो का दिखाया मार्ग अपनाए तो "इंसान" कहलाने लगेंगे.
जवाब देंहटाएंभैया, आप सिविल इंजिनियर हैं. कोशिश करते रहिए, पगडंडियाँ ज़रूर चमक जायेंगी.
जवाब देंहटाएंकाश .....
जवाब देंहटाएंहम चमका देते
उनके बनाए
सभी पगडंडीयो को
जो इंसान को
इंसानियत की मंदिर तक
पहुंचाते थे बहुत सुन्दर ख्याल और .....अच्छा सन्देश भी जी
bahut sunder rachana hai badhai
जवाब देंहटाएंबबनजी,
जवाब देंहटाएंइंसानियत से बढ़ कर और कोई राह नहीं जीवन में आगे बढ़ने के लिये...
इंसानियत की मंदिर तक
जवाब देंहटाएंपहुंचाते थे ..
विकास के लिए सडकों का निर्माण भी ज़रूरी है ..वैसे यह प्रतीकात्मक रचना बहुत अच्छी लगी ...
इंसानियत के मंदिर होना चाहिए था ..
आदरणीय बबन सर चरण स्पर्श करना चाहूँगा..आपने आज वो कह दिया जिसने मुझे सदैव विचलित किया है..वो है निरंतर परिवर्तनशील समय के साथ चलना या अपनी पुरानी पीड़ी के स्वरुप को जीवित रखना..मैं निर्णय नहीं ले पाता हूँ और आप भी मेरी लिए ऐसी अधूरी कविता छोड़ गए हैं जिसे पूर्ण करना इस जन्म में मेरे लिए संभव नहीं है..शायद आज की युवा-पीड़ी निर्णय ले सके ... पुनः आपके स्नेह और आशीर्वाद की प्रतीक्षा में..आपका अनुज
जवाब देंहटाएंप्रिय भाई चेतन जी @..कहते है दीप से दीप जलता है ...और दीप सबसे पहले हमलोग अपने परिवार से जलाना शुरू करे ..
जवाब देंहटाएंwah wah bahut achhe babanji...aapki is prastuti ne hamare purkhon ke dikhaye raaston par chalne ki aakansha ko punarjeevit kar diya hai...aapka hriday se dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंBade Bhai Shree Baban Ji, ati sundar rachana...mere maan ko bha gayi...kas hum aapne sanskar ko na bhulate, aur jis tarah humm ne पूर्वजों ke basiyat dhan sampati ko sanchaya kar ke rakhate hai...kas usi tarh haumm unke dwara diye gaye "SNSKAR" ko bhi sanchaya kar pate...Dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंबबन जी ................आजादी की लड़ाई के वक्त थोड़ी सी चमकाई थी यह इंसानियत कि पगडण्डी............पर हुआ कुछ ऐसा कि.उसकी चमक से पीछे आने वालो की..........आँखे चौंधियां गयी ......और वो रास्ता भटक गए ........देखते हैं फिर रास्ता कब मिलेगा......
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