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रविवार, 17 अक्टूबर 2010

सिर्फ एक फूल नहीं है कमल

कीचड़ में खिला
सिर्फ एक फूल ही नहीं है कमल
गुदड़ी में पैदा होते है लाल
इसकी है एक बानगी
देखते ही बनती है
गरीबी में इसकी सादगी ॥

नहीं आता माली उसके पास
घास निकालने
नहीं डालता खाद /दवाई
फिर भी वह खुश है
क्योकि वह
लक्ष्मी जी का चहेता है
उन्होनें उसे दिया है
स्वास्थ्य धन
न कोई चोर चुराएगा
न कोई भाई बांटेगा
इसीलिए तो ......
जी भरकर सोता है रात में
अपने दुश्मन भौरे के साथ ही ॥

27 टिप्‍पणियां:

  1. bhuat achhi line.......

    कीचड़ में खिला
    सिर्फ एक फूल ही नहीं है कमल
    गुदड़ी में पैदा होते है लाल.....

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  2. बढिया लिखा। अपनी खूबियों के चलते ही कमल बीजेपी का सिम्‍बल है।

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  3. क्योकि वह , लक्ष्मी जी का चहेता है, उन्होनें उसे दिया है स्वास्थ्य धन, न कोई चोर चुराएगा न कोई भाई बांटेगा ! वाह क्या ही सुन्दर रचना की है भ्राता श्री! मन प्रसन्न हो गया अत्यन्त ही मार्मिक !

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  4. वाह!बब्बन जी ,अध्यात्म और प्रभु के आसीम अनुग्रह-अनुकम्पा
    की अनोखी अभिव्यक्ति है "एक फूल नहीं है कमल"
    "न कोई माली न कोई खाद ,अनुपम रूप-सुगंध,दुश्मन का साथ
    भय और डर उसको कैसा जिसपर हो मालिक का हाथ "

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  5. Bahut khoob Baban ji, keechad me khilne wala Kamal hame batata hai ki jeevan ki kathinaio se ladna, aur buraio ke sath rahte hue bhi apni khubsurati, sacchai aur khushboo ko barkarar rakhna....

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  6. Bahot adbhut panktiyan hain sachmuch "Lotus" Kamal ke baare me...

    waah wah...
    नहीं आता माली उसके पास
    घास निकालने
    नहीं डालता खाद /दवाई
    फिर भी वह खुश है
    क्योकि वह
    लक्ष्मी जी का चहेता है
    उन्होनें उसे दिया है
    स्वास्थ्य धन
    न कोई चोर चुराएगा
    न कोई भाई बांटेगा

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  7. बहुत सही रचना बबन जी आपकी........सही मिसाल दी आपने कमल की ......कीचड़ में खिलता हैं कमल ....ऐसे ही लाखो बच्चे पैदा होते हैं इस देश में.......जिनमे प्रतिभा कि कोई कमी नहीं .....उनहे कुछ नहीं चाहिए ...उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता हैं ......क्योकि इस धन कि उनके पास कोई कमी नहीं..........पर जो धन कोई चुरा सकता हैं वो उनके पास नहीं हैं ....उन्हे सवारना हैं......तराशना हैं.......उसके लिए भी वो तैयार हैं ...पर....उन्हे चाहिए भरोसा ......जिस से वो निश्चिन्त हो कर खिल सके..........वक्त का कोई थपेड़ा उन्हे डुबो ना दे.......

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  8. BABANJI,Bahut hi meaningful poem hai. Jitni tareef ki jaaye kam hai. Such kaha aapne गुदड़ी mein lal paida hote hain.jaise Lal Bahadur Shashtriji.Yeh khud itne pratibhashali hote haai ki inhe sirf ek support ki zaroorat hai. phir yeh kahin ke kahin pahoonch sakte hain. Very nice....

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  9. पाण्डेय जी,
    सबसे पहले तो धन्यवाद ऐसी सुन्दर रचनाओं के लिए.
    वास्तव में कमल कीचड़ में पलता बढ़ता है, और अपने आपको कीचड़ से दूर भी रखता है. यह बिलकुल उल्टा है इस कहावत के :-
    "काजल की कोठरी में कैसो ही सयाने जाए, एक लीक काजल की लागहि पे लागहि है."
    इस तरह कीचड़ में रह कर कीचड़ से दूर हटने के प्रयास के फलस्वरूप उसे उसकी शक्ति और आत्मविश्वास का ज्ञान होता है, और वो अपने शत्रुओं (भौंरे ) के साथ भी निर्भय वास करता है.

    कम्मल की रचना है. अत्यंत प्रेरणादायक.

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  10. * कमाल की रचना है. अत्यंत प्रेरणादायक.

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  11. देखते ही बनती है
    गरीबी में इसकी सादगी ॥

    bahut khoob!!

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  12. kaafi achcha likhe hai sir jee...aisa sirf aaphi likh sakte hai..naman

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  13. किसी भी माहौल में हो कमल तो कमल है, गरीबों की प्रेरणा.............बबन जी बहुत ही बढ़िया

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  14. बबनजी,
    अपना देश इन कमल के फूलों - गुदड़ी के लाल - से ही समृद्ध है... और यह सौभाग्य है देश का... वरना तो कब का ही बंटाधार हो चुका होता...

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