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शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

खिला अमन का फूल

साठ साल पहले
रोपा था हमने
धर्म -निरपेक्षता का एक अजूबा पौधा
अपने संविधान की उर्वर भूमि पर
सींचा उसे सब देशवासीयों ने
प्रेम /भाईचारा /सौहार्द के जल से
अब उसमे खिले हैं
शांति और अमन के फूल ॥
आओ , दुनियाँ वालों
थोड़ी सी खुशबू
तुम भी ले लो ॥

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