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मंगलवार, 5 अक्तूबर 2010

तलहट्टी में छिपी यादें

यादें अदृश्य हैं
फिर भी जुडी हैं मन से
ठीक वैसे ही
जैसे इन्द्रियाँ जुडी है तन से ॥

दुसरे इन्द्रियो की तरह
यादें कुछ मांगती भी नहीं हैं
खाने को /पीने को
बस छुपी रहती है
दुबकी रहती है
वर्तमान की तलहट्टी में ॥

जब वर्तमान रेगिस्तान बनने लगता है
तो कभी मखमली दूबों पर चलने वाली यादें
तलहट्टी से बाहर निकल
आगोश में आने लगती है
फिर लगता है
यादों का साथ न छोडू ॥

यादें ....
मन को हल्का कर देती है
नई ऊर्जा भर देती हैं
ताकि हम
सामना कर सके
वर्तमान के रेगिस्तान का ॥

10 टिप्‍पणियां:

  1. यादें ....
    मन को हल्का कर देती है
    नई ऊर्जा भर देती हैं
    ताकि हम
    सामना कर सके
    वर्तमान के रेगिस्तान का ॥
    ==बहुत सुन्दर पंक्तियाँ , जो हकीकत भी है.

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  2. यादें ....
    मन को हल्का कर देती है
    नई ऊर्जा भर देती हैं
    ताकि हम
    सामना कर सके
    वर्तमान के रेगिस्तान का ॥

    पर यदि अतीत अच्छा रहता है तो ताजगी मिलाती है और अगर अतीत बुरा बिता हो तो हताशा भी मिलाती है|
    सुन्दर पंक्तियाँ|
    शुभकामनाएं|

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  3. सही कहा चन्दन जी ...मगर लोग सुनहले अतीत को याद करते है

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  4. जब वर्तमान रेगिस्तान बनने लगता है
    तो कभी मखमली दूबों पर चलने वाली यादें
    तलहट्टी से बाहर निकल
    आगोश में आने लगती है
    फिर लगता है
    यादों का साथ न छोडू ॥..bahut khoob.sunder abhivyakti.

    Tum jism bankar sath raho na raho,
    rehna sada ahsaas ki tarah.

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  5. bilkul sahi kaha aapne yade halka kar deti hai......bahoot sunder.

    अयोध्या की सुबह सृजन_शिखर पर

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  6. Very true baban bhai,yaaden hi to jeevan ko saral banaati hain. kabhee joojhne aur kabhee seekhne ko prerit kartee hain.

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  7. मन की अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति है

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  8. बहुत सुन्दर रचना पढ़ते मन नहीं भरता ----आपने ब्लॉग को सुन्दर ढंग से बनाया है ब्लॉग बहुत अच्छा लगा वह भी कबिता जैसा ही है.
    इतनी सुन्दर कबिता हेतु बहुत-बहुत बधाई.

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  9. बहुत सुंदर !
    याद उनकी सीने से लगाये रहता हूँ,
    हृदय में प्रेम की नदिया बहाये रहता हूँ,
    आपने याद की बातों से उनकी याद और बढ़ा दी
    जिनकी यादों को अपनी मुस्कान में छुपाये रहता हूँ.

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