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शुक्रवार, 5 नवंबर 2010
डर का नाम शंकर तो नहीं ....
एक अदृश्य चुम्बकीय शक्ति
निकलती है ...
जटाओ से
गले में लिपटे सर्पों से
शरीर में लगे भभूत से
या फिर
कंठ पर रुके हलाहल से ॥
रावण भी पूजता था उन्हें
लंका जाने का निमंत्रण
स्वीकारा उन्होंने/इस शर्त के साथ
बीच में कहीं मत रखना
देवघर के पास
रावण को लघुशंका लग गया
और तब से वे
देवघर वासी हो गए ।
बड़ा दानी है वह
सबसे बड़ा परमार्थी
जो मांगो /वही मिलेगा
मगर सोच समझ कर मांगो
पुत्र मोह की लालच में
सालों पूजा एक भक्त ने
शौच से आते वक़्त
क्रुद्ध हो गया भक्त
लोटा से मार बैठा शिवलिंग पर
लगातार चार पुत्र प्राप्त हुआ
मगर सब के सब रावण ॥
नहीं मांगता वह
सोने का सिक्का /लड्डू /मिठाइयां
खुश हो जाता
बेलपत्र /धथुरा /भांग से ॥
कहते है ....
ब्रम्हा जनक है
विष्णु पालक है
और शंकर संहारकर्ता
अब प्रेम से
या डर से
शंकर सब जगह है
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बबन जी बिल्कुल सही कहा आपने........कि........ब्रह्मा दुनिया का बनाने वाले हैं........विष्णु......दुनिया को चलाने वाले..........इसलिए खुद भी अवतार लिया जब-२ दुनिया पर संकट आया.........पर जब भोले बाबा नाराज हो जाते हैं तो वो तांडव करके सब भस्म ही कर देते हैं.....फिर उनके सामने चाहे कोई भी हो......इसलिए उनका डर भी हैं.........कही भोले बाबा नाराज ना हो जाये.......पर बाबा अपने भक्तो से कभी कुछ नहीं मांगते.....सिर्फ भक्ति, भंग,धतुरा और बेल पत्थर........और उस से ही खुश हो कर छप्पर फाड़ कर दे देते हैं....इसलिए सही कहा सब जगह देवो के देव महा देव......सब जगह हैं..कण-२ में विराजमान हैं.......जय महादेव.....
जवाब देंहटाएंअति सुंदर बबन जी......संहारकर्ता है लेकिन बहुत ही भोले हैं.....मात्र जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते है.............!!
जवाब देंहटाएंअति सुंदर!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता ..पौराणिक आधार बना कर अपनी बात कही है ..
जवाब देंहटाएंbhole sankar ki sarv vyapakta aur bholepan ko shabd diya hai aapne!
जवाब देंहटाएंsundar!
बब्बन भईया प्रणाम
जवाब देंहटाएंशुभ दिवाली
भोले शंकर से कैसा डर ? ये तो सबसे प्रिय है बस यही है इनका व्यवहार उसी तरह है जैसे हम अपने माता पिता से रखते है । जी अगर हम कुछ गलती करे तो माता पिता से डर रहता है बस वैसे ही , हमारी गलती पे भोले शंकर हमे सजा देते है । यहा हमारी से मतलब व्यक्ति और सारा जहान भी है ।
आपकी रचना मे आपका सन्देश जान होता है और भोले शंकर के बारे मे आपने बहुत बखुबी से बताया ।
जय हो भोले शंकर की , बम बम भोले !
धन्यवाद
बबन जी पूजा कभी भी डर से नहीं की जाती......पूजा की जाती है मन से ......शिवजी की पूजा तो सभी करते हैं...क्यूंकि.....
जवाब देंहटाएंएक अदृश्य चुम्बकीय शक्ति
निकलती है ........बहुत खूब !!!!
अति सुन्दरम कविता....
जवाब देंहटाएंशब्द विहीन हूँ आप को मुबारक बाद नहीं दे सकता
pooja duniya ka sabse bekar aut bhadda kam ....I dont like poojaa paath....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बात कही आपने .....इन्हें कोई डर से नहीं पूजता जाने कितनों के आराध्य देव हैं यह ....यह आपकी साधना ही तो है जो जिसे आपने रचना में ढाल कर एक कालजयी रचना बना दिया ...बधाई ।
जवाब देंहटाएंExcellent poem Baban bhai..
जवाब देंहटाएंAshok Pande..
अति सुंदर बबन जी....पौराणिक आधार बना कर अपनी बात कही है ..
जवाब देंहटाएंबबनजी,
जवाब देंहटाएंआपने आज भोले भंडारी को याद किया यह भी उनकी कृपा के बिना संभव नहीं...
एक वाकया सुना था, सभी मित्रों से आपके जरिये शेयर करना चाहूँगा...
जंगल में पुराना खँडहर हुवा वीरान शिव मंदिर था... कोई पहुँच नहीं पाता था... एक चोर ने चोरी की नीयत से नज़र की तो देखा कुछ है ही नहीं... अचानक नजर आया शिव के ठीक ऊपर लटका एक घंटा... घंटे के पीतल को बेच कर ही पैसे मिल जायेंगे... ऐसी नीयत से खोजने लगा कि घंटे को कैसे उतारा जाये... वहां ऐसा कुछ जोगाड़ ना होने के कारण दुखी होकर आखिर में वो चोर घंटा उतारने के लिये खुद ही शिवलिंग के ऊपर चढ़ने के लिये जैसे ही अपना एक पैर रक्खा कि अचानक जोरों से हुँकार भरते हुवे भगवान् शिव स्वयं प्रकट हो कर बोले कि अगर कोई भक्त मेरे पर कुछ भी चढ़ाता है तो मैं प्रसन्न हो जाता हूँ पर जो काम आज तुमने किया है वो तो आज तक किसी ने नहीं किया... सभी भक्त कुछ ना कुछ फल फूल सामग्री चढाते हैं... पर तुमने तो स्वयं अपने आप को ही मेरे पर चढ़ा दिया... भगवान् शिव तो औघड़ दानी हैं... कहा माँग भक्त माँग, तुम्हे सब कुछ मिलेगा...
जय हो...
वाह... अति सुंदर 'शिव वर्णन'... बबन जी बधाई...!! :-)
जवाब देंहटाएंमधु भाई @ बड़ा ही रोचक, ज्ञानप्रद,शिक्षा प्रद कहानी है ..यह निर्विवाद रूप से सत्य है ....कि बहुत जल्दी लोगो कि सुनते है
जवाब देंहटाएंAadaraniy Baban Bhai Ji, " Shubh Dipawali"
जवाब देंहटाएंAapne "डर का नाम शंकर तो नहीं " .... bahut hi achcha varnan kiya hai. dar ka naam "SHANKAR" nahi prem ka naam SHANKAR hai. wo to kewal papayi, atyachariyo ka naash kaarte hai. Inko jo shradha bhakti se yaad karata hai uska kalyan karate hai.
Badde Bhai Ji, Mujhe aap ke har ek rachanaye samajik lagata hai. Pata nahi mera choch hi aisi hai ya vastav me aisa hi hai?
Aap ki ye LINES-"पुत्र मोह की लालच में
सालों पूजा एक भक्त ने
शौच से आते वक़्त
क्रुद्ध हो गया भक्त
लोटा से मार बैठा शिवलिंग पर"
Samaj me baadh rahi LALACH AUR SWARTH ko darshada hai.Humm kitana swarthi ho gaye hai, shayad humme pata hi nahi ya fir sab khujh jante huye bhi jankar aisa karte hai.
YAH RACHHNA PRERNNA DAYAK HAI.Is humme sikhna chahiye...Bahut-bhaut Dhanyvaad ke sath agle dhamakedar rachna ka pratiksha karata- Shaileshwar pandey
ati sunder panktia hain baban bai
जवाब देंहटाएंWah! sab Bhole ki kripa se ....................
जवाब देंहटाएंPandit ji badhiya likha hai apne.
Jai Shiv Shankar
bahut sahi likha baban ji
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम...
जवाब देंहटाएंबबन जी बहुत अच्छी रचना है...
MANOJ JOSHI
bahut sundar|
जवाब देंहटाएंनहीं मांगता वह
सोने का सिक्का /लड्डू /मिठाइयां
खुश हो जाता
बेलपत्र /धथुरा /भांग से ॥
कहते है ....
ब्रम्हा जनक है
विष्णु पालक है
और शंकर संहारकर्ता
अब प्रेम से
या डर से
शंकर सब जगह है |
jay shiv shankar
sir ji...sahi kaha hai aapne....shiv sanharak....khush ho jaate hai belpatra aur bhang se.....nice
जवाब देंहटाएंशिव संहारक है पर मन से भोले ,बड़ी जल्दी खुश हो जाते हे ...भेट में भी क्या चाहिए उनको ..निम्न सी बस्तुये जिनकी कोई मूल्य नहीं होता वो शिव को प्रिय होती हे ......ओम नम: शिवाय
जवाब देंहटाएंबहूत सुन्दर रचना. शिव ने विष जगत के कल्याण के लिए पिया था, पर लोग उन्हें मुर्ख समझते हैं, और उन्हें भंग, धतुरा चढाते हैं, गंजा पिने वाले लोग, अपनी चिलम उन्ही के नाम पर जलाते हैं. शिव सबके गुरु हैं, लोग नशा पान को उनके नाम के साथ जोड़कर उनका अपमान करते हैं.
जवाब देंहटाएंanmol kriti !!
जवाब देंहटाएंलोटे का जमाना गया / अब कोई लोटा नहीं मरेगा / अब कोई रावन नहीं होगा /
जवाब देंहटाएं--कुछ भी समझो ..लिखो...कहो...मानो...
जवाब देंहटाएं--- शिव हर रूप में संसार का आधार है..... चाहे लिंग-योनि रूप में ...या कल्याण रूप में ...या क्षण क्षण सृष्टि-लय रूप में.....शिवोsहं....