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बुधवार, 8 सितंबर 2010

नया तराना


स्वर कोकिल से कंठ तुम्हारे
शबनम बने पसीने
होठों की लाली है जैसे
चाँद में जड़े नगीने ॥

देख रहे है नभ के पक्षी
नए फैशन के कपडे पहने
पूरा बदन जैसे एक गहना
बिन सोने के गहने पहने ॥

नए जगत के मायाजाल से
लगा है मन मेरा घबराने
आओ ,हम सब साथ बैठे
आज गाये कोई नए तराने ॥

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