बन्दूक .....
एक भय है
एक डर है
लोगों को डराने की चीज है
मारने की नहीं ॥
इससे गोलीयाँ
शायद ही कभी निकलती हो ॥
जो इस बात को समझ गया
वह बन्दूक से नहीं डरता ॥
बल्कि ...
चाकू दिखाकर
छीन लेता है बन्दूक ॥
हमारे नक्सली
सरकारी बंदूकों की भाषा
अच्छी तरह पढ़ चूके है ॥
बहुत सटीक रचना.
जवाब देंहटाएंdhanyabad
जवाब देंहटाएंBaban ji bahut sahi kaha aapne garajane wale baadal baraste nhi hai.......aur Sarkaari bandook to hamesha hi hathi ke daant jaisi hoti hai, jo khane ke aur hote hai aur dikhane ke aur.........
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