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शनिवार, 11 सितंबर 2010

" बादलों की चाहत '"


मैं पहाड़ो के ऊपर क्यों हूँ
...कोई बतायेगा ?
ये पहाड़ो के बंजर पत्थर
नहीं देखना मुझे अब

मुझे तो हरियाली पसंद है

...मैं बरसुगा ...

.इन्ही के ऊपर
अगली बार जब कोई आएगा
तो मेरा दोस्त पहाड़

उसे छाया देगा ..

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