" 21वीं सदी का इंद्रधनुष "
(बिना अनुमति के रचना न लें ) विविध रंग की कविताएं
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शुक्रवार, 10 सितंबर 2010
एहसास
पहाड़ो के
शिखर
पर
बैठे पत्थर
समय के चक के साथ
टूट
कर
समा
चूके
है
सडकों के
नीचे
॥
पत्थर
कहता
है
आज
जाना
मैंने
दुःख किसे कहते है
॥
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