उसकी बातें चुभती थी
कील की तरह
यद्प्पी वह सच बोलता था ॥
उसने कहा था
भाईयो की शादी हो गई
बटवारा कर लो चूल्हे का
नश्तर की तरह चुभी थी ये बातें
लगा था .....
साजिश कर रहा था वह
घर तोड़ने की ॥
नहीं पटी
हम सब भाईयो की पत्नियों के बीच
सुनता रहा मैं भी
बेजुवानो की तरह
उनकी उल-जुलूल बातें
अब चूल्हे ही नहीं बटे
खेत बटे /बच्चे बटे
माँ -बाप बटे
सबसे अहम् ....
अपना दिल भी बट गया
और देखिये
हम -सब अब खुश हैं ॥
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंपरिस्थिति के अनुरूप बदलते रिश्तों की दुखद सच्चाई व्यक्त हुई है...., सहजता से...
शुभकामनायें!
thanks ....Anupma ji
जवाब देंहटाएंye sab hona hi hota hai ..aaj ke parivesh me kuchh bhi asadharan nahi...
जवाब देंहटाएंthanks Vasudhara pandey ji
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