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बुधवार, 29 सितंबर 2010

बटवारा

उसकी बातें चुभती थी
कील की तरह
यद्प्पी वह सच बोलता था ॥

उसने कहा था
भाईयो की शादी हो गई
बटवारा कर लो चूल्हे का
नश्तर की तरह चुभी थी ये बातें
लगा था .....
साजिश कर रहा था वह
घर तोड़ने की ॥

नहीं पटी
हम सब भाईयो की पत्नियों के बीच
सुनता रहा मैं भी
बेजुवानो की तरह
उनकी उल-जुलूल बातें
अब चूल्हे ही नहीं बटे
खेत बटे /बच्चे बटे
माँ -बाप बटे
सबसे अहम् ....
अपना दिल भी बट गया
और देखिये
हम -सब अब खुश हैं ॥

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