followers

बुधवार, 29 सितंबर 2010

औरत ही औरत की दुश्मन

विदाई का समय था
माँ की आंखों में आंसू थे
मगर ससुराल जाने से पहले
बेटी को बताना था एक राज ॥

माँ ने बेटी को बताया
पति को वश में रखना
सास है ...
कोई देवी नहीं है कि
उसकी हर नाज़ -नखरे उठाओ ॥

मगर बाद में
जब घर में बहू आई
तो वह वह भूल चुकी थी
बहू की माँ ने भी
उसे वही सिखाया होगा
जो मैंने अपनी बेटी को सिखाया था ॥

1 टिप्पणी:

मेरे बारे में