मैंने ....
अपने दोस्त से कहा
क्या बचपन लौट सकता है ?
क्यों नहीं ...
बचपन के दोस्तों से मिलिए
पुरानी बातों को याद कीजिये
दिल खोल कर हंसिये
आपका बचपन लौट जाएगा ॥
वैसा ही किया मैंने
लंगोटिया दोस्तों के पास गया
उन्हें गले लगाया
खूब बातें की
अपने प्यार की
शैतानी की
पतंग काटने की
और कागज से बने नाव के
बहते पानी में दौड़ लगाने की ॥
सच में ....
जब तक मेरे दोस्त
इस दुनियाँ में रहेगे
मैं बूढ़ा नहीं होऊंगा ॥
सब मन का ही तो खेल है……………सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (13/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
thanks vandna ji
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंthanks PATALI-THE -Village..
जवाब देंहटाएंman kai hara har hai man kai jeeta jeet
जवाब देंहटाएंaadmi kabhi budha nahi hota ----
koshis aachhi hai
thanks...Poorviya ji ...keep reading
जवाब देंहटाएंएकदम सही फ़ार्मुला बताया।
जवाब देंहटाएंऔर पाण्डेय जी, ये वर्ड वैरिफ़िकेशन हटाईये, टिप्पणी करने में असुविधा होती है।
वाह बबन जी, बचपन को दुबारा देखने को मजबूर कर दिया आपकी कविता ने। काश ! वो दिन हमारी मुठ्ठियों मे बन्द रहते। पर वे दिन तो रेत की मानिन्द सरक गये।
जवाब देंहटाएंGOPAL BHAI ...AUR MO SAM KAUN BHAI ...JIS PRAKAR JOHRI HI HEERE TO PAHCHANTA HAI ..USI PRAKAR AAP GUNI JAN HI RAH DIKHATE HAI .. BLOG PAR AANE KE LIYE THANKS...
जवाब देंहटाएंbahut hi achcha ...i like this poem too much
जवाब देंहटाएंthank u.
मैं भटक रहा हूँ यहाँ वहां, उन गए दिनों की तलाश में
जवाब देंहटाएंकहाँ गम हुईं वो मुहब्बतें, वो मनाने वाले किधर गए
BAHUT KHOOB ..SHESH DHAR TIWARI BHAI
जवाब देंहटाएंand nitish kumar ji
बब्बन भैया बहुत भावुक रचना है .. बधाई स्वीकार कीजिये जैसे कोई काल यन्त्र हो मुझे मेरे बचपन में ले जाने के लिए
जवाब देंहटाएं