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शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

जवानी

जवानी .....
काम की आग है
उर्जा का राग है
साहस का पंख है
बिच्छू का डंक है ॥

थोडा संभलकर चलिए
थोडा संभलकर बोलिए
थोडा संभलकर पीजिये
जवानी में ॥

क्योकि
बर्फ की ढाल है जवानी
फिसल गए
तो संभलना मुश्किल ॥
बन्दुक की गोली है जवानी
निकल गई
तो रोकना मुश्किल ॥

4 टिप्‍पणियां:

  1. काम की आग है
    उर्जा का राग है
    साहस का पंख है
    बिच्छू का डंक है.....bahut khub likha hai pandey ji itne vichar aate kaha se hai....kaise itna soch lete hai aap...aap me lagta hai kaafi samvedna shesh hai....badhai

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  2. बर्फ की ढाल है जवानी
    फिसल गए
    तो संभलना मुश्किल ॥ aaj ki uva pede ko a accha sandesh ji ...Nirmal paneri

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  3. Wah...wah..Shree Baban Bhai Ji...Bahut hi achcha kaha hai aapne...Javani kuch aisa hota hi hai...lekin javani me sambhal kar hi chlana achcha hota hai...

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