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शनिवार, 18 सितंबर 2010

मैं इंद्र का पुजारी हूँ

कुबेर को नहीं पूजता मैं
मैं तो इंद्र का पुजारी हूँ
आप खुश होते होंगे /मर्सिडीज खरीद कर
मैं खुश हूँ /ट्रैकटर खरीदकर
जी हाँ ....मैं किसान हूँ ॥

सूरज को नाचता है
मेरे खेतों में लगा सूरजमुखी का फूल
पुलकित हो जाता है
मेरा रोम -रोम /जब देखता हूँ
रस से भरे गन्ने के मोटे-मोटे डंठल

ताजे मकई के हरे -हरे भुट्टे
ताजे फल /ताज़ी सब्जियां
ताज़ी मुली और गाजर के
स्वाद का क्या कहना ॥
शायद यही है
मेरे स्वस्थ शरीरका गहना ॥

मेरे बच्चे ने
कृषि -विज्ञान में स्नातक
और कृषि प्रबंधन पढ़ा है
नई खेती की शुरुयात की है उसने
वर्मी कम्पोस्ट
और नए कृषि यंत्र की मदद से॥


किसानों को संगठित किया उसने
खाद्य -प्रसंकरण की कारखाना खोलेगा वह ॥
अपने कृषि उत्पाद वह
मिटटी के भाव नहीं बेचेगा ॥




3 टिप्‍पणियां:

  1. Babanji, hamare samaaj ko isi jan jaagran ki aawashyakta hai......jab aise log aage badhenge to hamare kisaan bhayeeyon ki hausla afzaai bhi hogi aur unhe nai jaankaria bhi milegi. Tab unhe apne utpaad mitti ke bhav nahin bechne padenge. keep writing.....

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  2. शानदार विषय-वस्तु जानदार प्रस्तुति.....बधाई।
    सद्भावी--डॉ० डंडा लखनवी

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