मौन निमंत्रण सी तेरी आँखे
गर्माहट देती साँसे
कलि खिलकर फूल बनी है
तुम्हें गले लगाने को
अकुलाती मेरी बाहें ॥
छन-छना-छन कंगन के संग
पायलिया सुर में गाये
नभ के पंछी
तुम्हें देखकर
पल -पल बदले राहें ॥
तुम्हें गले लगाने को
अकुलाती मेरी बाँहें ॥
खेत के पीले सरसों
तुम्हें छूने को तरसें
मेहँदी के
रंगों के घुलकर
कितना भरू मैं आहें ॥
तुम्हें गले लगाने को
अकुलाती मेरी बाँहें ॥
गर्माहट देती साँसे
कलि खिलकर फूल बनी है
तुम्हें गले लगाने को
अकुलाती मेरी बाहें ॥
छन-छना-छन कंगन के संग
पायलिया सुर में गाये
नभ के पंछी
तुम्हें देखकर
पल -पल बदले राहें ॥
तुम्हें गले लगाने को
अकुलाती मेरी बाँहें ॥
खेत के पीले सरसों
तुम्हें छूने को तरसें
मेहँदी के
रंगों के घुलकर
कितना भरू मैं आहें ॥
तुम्हें गले लगाने को
अकुलाती मेरी बाँहें ॥
superb one
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