" 21वीं सदी का इंद्रधनुष "
(बिना अनुमति के रचना न लें ) विविध रंग की कविताएं
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गुरुवार, 9 सितंबर 2010
गरीब के आंसू
कहते हैं
बड़ा दम होता है
गरीब की आंखों से
निकलने वाले आंसुओ में ॥
भष्म कर देते है
पत्थरो से बने महलों को ॥
ठीक उसी तरह
जैसे नदी का बहता
शीतल -कोमल जल
बालू बना देती है
तोड़ -तोड़ कर
पत्थरो
को॥
2 टिप्पणियां:
S.M.Masoom
9 सितंबर 2010 को 9:39 pm बजे
सत्य वचन
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babanpandey
9 सितंबर 2010 को 10:55 pm बजे
thanks S.M.Masum
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जवाब देंहटाएंthanks S.M.Masum
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