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मंगलवार, 14 सितंबर 2010

छोड़ो पब ,भजो रब

छोड़ दिया पब को
जोड़ लिया रब को
निकल पड़ा मैं
गले लगाने सब को ॥

जबसे सजाने लगा हूँ
प्रभु के आरती की थाली
सजाने लगे है ,प्रभु भी
मेरा हृदय ,बन कर माली ॥
वंदना है मेरी ...
साथ ले चल तू सबको ॥

जब से मन ने किया है
सदविचारों का पान
कलुषित हृदय गाने लगा है
नित्य नए अमृत गान
अर्चना है मेरी
संभाल ले तू सबको ॥

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