कृष्ण बनने की चाहत में
अपना सब कुछ लुटा दिया
चरित्र .ईमानदारी और परमार्थ
सब झूठे प्रेम में गला दिया ॥
अब पर कटा पक्षी हू
या ठूंठ हो गया एक वृक्ष
अब तो थोड़ी सी हवा के लिए
हवा ने भी रुला दिया ॥
गुरुर ब्रह्मा ,गुरुर बिष्णु
गुरुर देवोः महेश्वरः
धन्य हैं वो गुरु ,जिन्होनें
ह्रदय में प्रेम पुष्प खिला दिया ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें