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शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

हेल्लो जिंदगी ...गले लगा लो .

दोस्तों ...
जिंदगी एक गाडी है ...
मित्रता /स्नेह /प्यार /सम्बन्ध
इसके चक्के ॥
यह अपनी गति से
सदैव चलायमान रहती है ॥


दोस्तों ...
इस गाडी को तेज दौड़ाने
के चक्कर में
मैंने डाल दी इसमें
बेईमानी / धोखा और फरेब
का पेट्रोल ॥


चक्का फट गया है , दोस्तों
मैं और मेरी गाडी
मेरे बनाए जाल में ही
फंस गयी है ॥


दोस्तों ....
बुजुर्गों के अनुभव बताते है
करनी है अगर तेज
गाडी की रफ़्तार
तो ...दबाना होगा
ईमानदारी और क्रतव्य -निष्ठा का
ऐसीलेटर॥
आईये ना ...
कोशिस करते है
शायद ...जिंदगी हमें गले लगा ले ॥

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