मुझे नहीं पता
चिड़िये के उस जोड़े को
कितना समय लगा होगा
अपना घोसला बनाने में ॥
फिर उसने अंडा दिया
उसे बचाया ....
वर्षा /धुप /शीत और दुश्मनों से ॥
रोज बच्चों को छोड़कर
उसकी माँ .....सुबह में
निकल जाती घोसले से
अन्न की तलाश में ॥
शाम को उसे
बड़ा सकून मिलता
जब वह बच्चों के चोंच में डालती
अन्न के दाने ॥
समय गुजरता गया
माँ के बाहर निकले , बच्चे
देश -दुनिया देखा ...
उन्हें अपना घोसला छोटा नज़र आया
फिर कुछ बाद ....
वे बच्चे लौटकर घर न आये ॥
चिड़ियों का जोड़ा
अब वृद्ध हो चूका है
उसे अब भी इंतज़ार है
अपने लाडलों के आने का ॥
क्या उसके बच्चे
अपने माँ -बाप को देखने लौटेगे ॥
वर्तमान का यही स्वरुप है. हर घर में चिड़ियों को बच्चों का इंतज़ार है. अति उत्तम लेखन के लिए बधाई.
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