सच बोलिएगा
पत्नी की बार -बार की फरमाईशों से
मन उबता है या नहीं ॥
आज तीज है
कल हरतालिका
फिर दशहरा
फिर धनतेरस
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कुछ न कुछ खरीदेगी ही मैडम ॥
एक दिन बोल दिया
सहसा मुहँ से निकल पड़ा
क्या करोगी लेकर
सेल्फ साड़ियों से भरी है
जेवर लॉकर में पड़ी है ॥
बोली .....
मैं औरत हू
नहीं मांगती मैं कुछ
मेरे अन्दर की औरत मांगती है
मेरी मांग न हो
तो समझो
मेरे अन्दर का औरत मर चूका है ॥
एक औरत की मनोदशा का सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएंब्रह्माण्ड