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रविवार, 8 अगस्त 2010

फियादीन को पहचानो, मेरे दोस्त !!

उनके घर पर पत्थर मारने का बहाना ढूढ़ता हू
लड़ने -लड़ाने का सब जगह ठिकाना ढूढ़ता हू



आजादी के भ्रम का रंगीन गुब्बारा उड़ना चाहता हू
युवाओं को देश -प्रेम के मार्ग से भटकना चाहता हू ॥


मैं एक नशा हू , नशा ही सबको पिलाना चाहता हू
कश्मीर- भारत का गुलाम , यह भ्रम फैलाना चाहता हू ॥


इस्लाम के उलट सबको सिखाता हू , मस्जिदों में
इस्लाम खतरे में है ,कह -कह कर सबको भड़काना चाहता हू ॥


पहचानो इस अजनबी को , नकली रुपयों पर मत बिको
यही बात बबन , आप सब को बताना चाहता है ॥









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