ओ ! मॉनसून के बादलों
क्या तुम्हें भी लत लग गयी है
घूस लेने की
सरकारी नौकर शाहों की तरह ॥
बिना घूस लिए
तुम ठीक से नहीं बरसोगी क्या ॥
ओ ! मॉनसून के बादलो
क्या तुम्हें भी
लत लग गयी लेट आने की
हमारे नेताओ की तरह ॥
अब क्या
तुम्हे भी वोट चाहिए ॥
ओ ! मॉनसून के बादलो
क्या तुम्हें पता है
मेरे देश की अर्थव्यवस्था की
नीव हो तुम
बरसना तो होगा तुम्हें
ताकि ......
हर हाथ को काम मिल सके ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें