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रविवार, 11 जुलाई 2010

सत्य आने के बाद


जब सत्य की नदी बहती है
तो, झूठ के पत्थर
अपना वजूद खो देते है ॥

जब सत्य की आंधी आती है
तो, झूठ के बांस -बल्लियों से
बने मकान ढह जाते है ॥

जब सत्य के रामचन्द्र आते है
तो झूठ का रावण
भस्म हो जाता है ॥


और जब सत्य से प्यार हो जाता है
तो , हम शबरी की तरह
जूठे बैर भगवान को भोग लगाते है




4 टिप्‍पणियां:

  1. जब सत्य से प्यार हो जाता है
    तो , हम शबरी की तरह
    जूठे बैर भगवान को भोग लगाते है ...!!

    वाह ! क्या बात है
    बहुत सुन्दर ...!!!

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  2. satya ke chalte sabkuchh tyag kiya ja sakta hai, lekin sabkuchh ke chalte satya ko tyag nahi kiya ja sakta.

    Baban ji aapki lekh bahut khubsurat hai.

    जवाब देंहटाएं
  3. बबन जी आप की कविता के आगे नत मस्तक !!!!!!!!!!!!!!सत्य है !!!!!सत्य के आगे

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