हरेक ५ साल बाद होने वाले
नाटक का शंखनाद
हो चूका है बिहार में ॥
अब बजेगी चुनावी शहनाई ॥
इस नाटक में
२४४ बहुरूपिये चुने जायेगे ॥
वर्तमान बहुरूपिये
मंदिर -मस्जिद की दौड़ लगा रहे है ॥
जेलों में बंद
अपने साथी बहुरूपियों
के बुजुर्ग माता-पिता से आशीर्वाद ले रहे है ॥
वर्तमान बहुरूपिये जो
नाटक खेल रहे है
उनके पास "तीर" और "कमल " है
"तीर " पकडे बहुरूपिये कहते है
इस "तीर " से शत्रुओ का नाश कर दूंगा
"लालटेन " का शीशा फोड़ दूंगा
"हाथ " हमसे क्या हाथ मिलायेगे
और "बंगला " का तो छप्पर ही
उड़ गया है ॥
इधर "कमल " पकडे बहुरूपिये कहते है
मैंने बिहार को खुशबू से भर दिया है
गंध लेते रहिये ॥
इधर "तीर " अपने ही "कमल " को
काटने में लगा था
जब से एक फोटो छपा था
जिसमे दो बहुरूपियों ने हाथ मिलाया है ॥
अब कहते है
गलती से मिला लिए ॥
उधर "लालटेन" को पकडे बहुरूपिये
उसकी मद्धिम रौशनी में
पुनः नाटक खेलने को आतुर है ॥
"लालटेन " थामे वे कहते है
काम से वोट नहीं मिलता
तिकड़म से मिलता है ॥
सभी बहुरूपियों को
मुस्लिम लोगों की खूब चिंता रहती है ॥
इधर मनमोहन के बहरूपिये
अपना "हाथ " मजबूत करना चाहते है ॥
पिछलीबार
लालटेन से उनका हाथ जल गया था
सब बहुरूपिये अपनी जाती के लोगों
की लिस्ट तैयार कर ली है
आप घर पर ही रहिएगा
मिस न कीजिये
क्योकि ये बहुरूपिये आपके दरवाजे
५ साल में एक ही बार आते है ॥
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