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गुरुवार, 22 जुलाई 2010

आइये ..कुछ करते है ...

आओ... दोस्तों
पतझड़ को बसंत में बदल दे
दुश्मन को संत में बदल दें

वोट को नई चोट में बदल दे
रेत को उर्वर खेत में बदल दे

शूल को फूल में बदल दे
पथ्थरो को धुल में बदल दें

आइये , हम सब मिलकर
पर कटे पक्षियों को पंख लगा दे
नई लीक पर चलने का शंख बजा दे ॥

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