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शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

हवा और पानी है मेरा दोस्त

एक देशभक्त हू मैं घायल
किसी और का नहीं
भारतमाता की चरणों का हू पायल ॥


सब मुझे ....
हाथ पोछा रुमाल समझते है
जब पसीना निकलता है
तब लोगों को एहसास होता है
मेरे मजदूर होने का ॥


एक सौ रूपये के बदले
पता नहीं कितना पसीना चाहिए लोगों को

आदमी नहीं है ....
मेरे मित्र ॥
मंद पवन का झोंका है
मेरा सच्चा साथी
जो ....
सुखा देता है मेरा पसीना बार -बार ॥
और पानी
जिसे पीकर ...
बनता है मेरा पसीना
मैं बचते रहता हू
डीहाईडरेसन से
और डाक्टर की फ़ीस से भी ॥

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